रायपुर। छत्तीसगढ़ में पौने दो लाख शिक्षाकर्मियों को मायूसी हाथ लगी है। संविलियन सहित अन्य मांगों के लिए गठित हाईपवार कमेटी का कार्यकाल दूसरी बार बढ़ा दिया है। कमेटी की रिपोर्ट के लिए उन्हें एक माह और यानी 5 मई तक इंतजार करना होगा। इस दौरान कमेटी और शिक्षाकर्मी संघ की बैठक बुलाई जा सकती है। इसके पहले भी एक माह का कार्यकाल बढ़ाया जा चुका है।
हाईपावर कमेटी से तीन माह के भीतर रिपोर्ट मांगी गई थी। उसके बाद एक माह का और समय दिया गया था, उसके बाद 5 अप्रैल तक नतीजे की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन कमेटी चार महीने बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है, लिहाजा कमेटी को एक माह का और एक्सटेंशन दिया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस आशय के आदेश जारी कर दिए हैं। शिक्षाकर्मियों के वेतन, भत्ते, पदोन्नति और अनुकम्पा नियुक्ति और स्थानांतरण नीति सहित अन्य मांगों पर कमेटी की सिफारिशें लागू की जाएंगी।
ये भी पढ़ें- रेरा में 31 तक रजिस्ट्रेशन करा लें, नहीं तो लगेगा लाखों का जुर्माना
सरकार के सूत्रों का कहना है कि मध्यप्रदेश सरकार शिक्षाकर्मियों का संविलियन किस तरह करती है, छत्तीसगढ़ मं भी इसका इंतजार किया जा रहा है, क्योंकि संविलियन को लेकर सरकार कोर्ट कचहरी से बचना चाहती है। आशंका जताई जा रही है कि मध्यप्रदेश में कानूनी पेंचदिगियों के कारण फैसले में देरी हो रही है।
उल्लेखनीय है कि शिक्षाकर्मियों की सबसे बड़ी मांग संविलियन की है। मध्यप्रदेश सरकार ने संविलियन की घोषणा कर भी दी है। ऐसे में यहां के शिक्षाकर्मी भी संविलियन के लिए दबाव बनाए हुए हैं, जबकि राज्य सरकार के अफसरों की दलील है कि छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मी पंचायत, नगरीय प्रशासन, आदिमजाति विभाग के अंतर्गत आते हैं और इनका सीधे संविलियन करने में कानूनी दिक्कत है। यही वजह है कि मध्यप्रदेश में घोषणा के इतने समय बाद भी वह लागू नहीं हो पाया है। लिहाजा राज्य सरकार को मध्यप्रदेश सरकार के कदम का इंतजार है।
ये भी पढ़ें- भावी पत्रकारों को डिग्री बांटेंगे वेंकैया नायडू, 16 को दीक्षांत समारोह
छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इसमें शिक्षाकर्मी एक बड़ा मुद्दा है। विपक्ष इस मसले पर सरकार को घेरने के मूड में भी है। ऐसे में सरकार कोई गलती करने की स्थिति में नहीं है। इस संबंध में जो भी फैसला लिया जाएगा, वह ठोस होगा, अन्यथा चुनावी में इसका विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है। उधर मध्यप्रदेश सरकार कर्मचारियों को लगातार राहत दे रही है। शिक्षाकर्मियों के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी मध्यप्रदेश सरकार सौगात देने के मूड में है, लेकिन छत्तीसगढ़ में जिस तरह फैसले लेने में देरी हो रही है, उससे सरकार की किरकिरी तो हो रही है, साथ ही आने वाले दिनों में नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है।
वेब डेस्क, IBC24