छत्तीसगढ़ राज्योत्सव: राष्ट्रपति को भेंट करेंगे अलसी का जैकेट

छत्तीसगढ़ राज्योत्सव: राष्ट्रपति को भेंट करेंगे अलसी का जैकेट

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  • Publish Date - October 23, 2017 / 12:50 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:11 PM IST

छत्तीसगढ़ इस बार अपने राज्योत्सव 2017 में कुछ खास करने वाला है और यह खास है इंदिरा गांधी कृषि विवि द्वारा  पहली बार अलसी से तैयार किया गया लिनेन कपड़ा जिससे  निर्मित जैकेट 1 नवम्बर को हो रहे राज्योत्सव में शामिल होने आ रहे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेंट करने की तैयारी है। 8 रंगों में 40 मीटर कपड़ा निकाला गया है.प्रदेश की आदिवासी महिलाओं और बुनकरों ने सबसे पहले अलसी से कपड़ा और कागज बनाने का काम शुरू किया था जिसमे अलसी की नई वेरायटी आरएलसी-92 के डंठल से कपड़ा बनाया गया था। 

जैकेट के लिए डेढ़ मीटर कपड़ा लगेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक राष्ट्रपति को जैकेट देने के लिए विवि को विधिवत प्रक्रिया करनी होगी। इसके लिए राज्यपाल और मुख्यमंत्री से अनुमति लेनी पड़ेगी। जांजगीर-चांपा के किसान कपड़ा बना रहे हैं.

लिनेन का कपड़ा शरीर को ठंडक देता है। उसका वजन भी कम होता है। रंगड़ने पर इसमें हीट पैदा नहीं होती है। यह विवि की ओर से स्मृति चिह्न भी होगा। प्रक्रिया में अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना अलसी के अनुसंधानकर्ता डॉ. केपी वर्मा, इंजीनियर अजय वर्मा, डॉ. संजय द्विवेदी, डॉ. अरविंद सरावगी, डॉ. नंदन मेहता, किसान रामाार देवांगन(जांजगीर-चांपा से बुनकर) शामिल हैं.

कुलपति डॉ.एसके पाटिल का कहना है कि लिनेन कपड़े से किसानों की आय बढ़ेगी। मार्केट में इसकी 500 से 1500 स्र्पए प्रति मीटर कीमत है। अलसी से बनने वाले कागज से शादी की पत्रिकाएं , राखी, टोपी, गोला-बारूद के लिए रेशा, रेशे से डोरी, रस्सी ,टाट ,बीज से तेल, वार्निश, रंग, साबुन, पेंट आदि बना सकते हैं.

डॉ. केपी वर्मा के मुताबिक लिनेन की जैकेट पहले सीएम को दिखाएंगे। इसके आठ रंग में कपड़े निकाले हैं। जो छोटे-छोटे पीस में है। अलसी का राज्य में 3 हजार हेक्टेयर में रकबा है। 6000 स्र्पए प्रति क्विंटल अलसी की कीमत है। किसानों की आय चार से पांच गुना बढ़ जाएगी।

कैसे बना अलसी से कपड़ा 

अलसी की डंठल से पहले रेशे निकाले जाते हैं। फिर बुनाई करके कपड़ा तैयार करते हैं। डंठल के चूर्ण से कागज और पेंटिंग बनाई जाती है। डंठल को जमीन से तोड़ते हैं, ताकि इसकी लंबाई बेहतर रहे। इसे चार दिन पानी में भिगोया जाता है। फिर धूप में सुखाया जाता है। फिर ठंडल से रेशा निकालने वाली हैंड मेड मशीन से रेशा निकाला जाता है। इनका नेचुरल कलर हल्का गोल्ड होता है। इस वजह से बाजार में इसकी कीमत ज्यादा है।

राष्ट्रपति को भेंट

कृषि विवि की बड़ी कामयाबी है। राष्ट्रपति को भेंट करने की मंशा टीम ने जताई है। इसके लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

 – डॉ. एसके पाटिल, कुलपति, इंकृवि, रायपुर