संविलियन के खिलाफ अध्यापकों का मोर्चा, छत्तीसगढ़ में एमपी पैटर्न लागू हुआ तो फूट सकता है गुस्सा

संविलियन के खिलाफ अध्यापकों का मोर्चा, छत्तीसगढ़ में एमपी पैटर्न लागू हुआ तो फूट सकता है गुस्सा

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  • Publish Date - June 6, 2018 / 02:29 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:57 PM IST

भोपाल/रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों के संविलियन के लिए मध्यप्रदेश पैटर्न को अपनाने की तैयारी चल रही है, लेकिन मध्यप्रदेश में इसका विरोध शुरू हो गया है। मध्यप्रदेश के अध्यापकों ने सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाया है। अध्यापक संघ ने सरकार के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। 

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश सरकार ने पिछले दिनों फैसला लिया कि स्कूल शिक्षा विभाग के 224 विकासखंड़ों में कार्यरत स्थानीय निकाय और पंचायत के अध्यापक संवर्ग के सहायक अध्यापकों, अध्यापकों और वरिष्ठ अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाएगा और उन्हें मध्यप्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा सेवा भरती और पदोन्नति नियम के तहत प्रस्तावित नवगठित सेवा के अधीन प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक के रूप में की जाएगी। 

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सरकार के इस फैसले का अध्यापक संघ ने विरोध शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि कैबिनेट में संविलियन की जगह नए सिरे से नियुक्ति का फैसला लिया गया है। उन्हें राज्य शिक्षा सेवा संवर्ग बनाकर नियुक्ति दी जाएगी। ऐसा करने से उनकी 23 साल की सीनियरिटी का नुकसान होगा। इसके खिलाफ अध्यापक संघ ने 24 जून को विधानसभा घेराव की चेतावनी दी है। उन्होंने 25 जून से आमरण अनशन आवाह्न किया है। 

अध्यापक संघ के आंदोलन का असर छत्तीसगढ़ में भी पड़ सकता है। यहां भी मध्यप्रदेश की तर्ज पर संविलियन का रास्ता निकाले जाने की चर्चा है। शिक्षाकर्मियों के संविलियन के संबंध में अध्ययन के लिए राज्य की हाईपावर कमेटी का एक दल मध्यप्रदेश के दौरे पर भी गया था। हाईपावर कमेटी 8 जून को रिपोर्ट मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को सौंपने वाली है। संभवत: इस दिन कमेटी से चर्चा के बाद सीएम संविलियन का ऐलान कर सकते हैं। मध्यप्रदेश फार्मूले के तहत किया गया तो छत्तीसगढ़ में विरोध की स्थिति बन सकती है। छत्तीसगढ़ में 20-22 साल से शिक्षाकर्मी सेवाएं दे रहे हैं। लिहाजा उनकी वरिष्ठता का नुकसान होगा। 

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राज्य शिक्षाकर्मी मोर्चा ने भी कहा है कि मध्यप्रदेश की तरह संविलियन स्वीकार्य नहीं होगा। ऐसे में छत्तीसगढ़ को पृथक मॉडल के तहत संविलियन की घोषणा करनी चाहिए। मोर्चा पहले से आंदोलन की तैयारी में है। 11 जून से वादा निभाओ सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मी आंदोलन की राह पकड़ सकते हैं। इस साल दोनों राज्यों में चुनाव भी होने हैं। उनकी नारजगी सरकार को भारी भी पड़ सकती है।

वेब डेस्क, IBC24