दोनों आंखें खोने के बावजूद कभी हार नहीं मानी लेकिन आधार कार्ड से हारे

दोनों आंखें खोने के बावजूद कभी हार नहीं मानी लेकिन आधार कार्ड से हारे

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  • Publish Date - September 8, 2017 / 12:57 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:59 PM IST

आगर से करीब 6 किलोमीटर दूर कुंडला खेड़ा निवासी रमेश सूर्यवंशी दोनों आँखों से ब्लाइंड जरूर हैं पर कुर्सी बुनने और कपडा सिलाई में आँख वालों को भी पीछे छोड़ देते हैं। अपने इसी हुनर से जो कमाई होती है उसी के सहारे वो अपने परिवार का पालन पोषण भी बखूबी कर लेते है…  रमेश जब 4 साल के  थे तब उन्हें चिकन पॉक्स हुआ और उनकी दोनों आंखे हमेशा के लिए चली गई…बेहद गरीब परिवार से होने के कारण उनके परिजन समय रहते इलाज नहीं करा पाए…इसी बीच अपने एक रिश्तेदार की मदद से रमेश बिलासपुर चले गए और वहां ब्रेनलिपि के माध्यम से पढ़ाई की।

पढ़ाई के साथ साथ रमेश ने अन्य विधाएं भी वहां से हांसिल कर ली, रमेश ने ब्रेनलिपि के माध्यम से पढ़ाई कर 11 वी पास की ओर आज वही पढ़ाई उनके काम आ रही है। रमेश जब अंग्रेजी में बात करते है तो अच्छे अच्छे लोग उनके सवालांे का जवाब नही दे पाते है…सिर्फ उनके बोलने के लहजे को ही टकटकी निगाह से देखते रह जाते है। रमेश के जीवन में कभी भी उनकी कमजोरी आड़े नही आई…85 साल की उम्र में आ जाने के बावजूद रमेश किसी की मदद के मोहताज नही है.. रमेश को पूरे जीवन मे कभी निराशा नहीं हुई लेकिन जब आधार कार्ड की अनिवार्यता का सवाल आया तो रमेश की आंखे न होने के कारण उनका आधार कार्ड नहीं बन पाया..जिससे उन्हें राशन सहित शासन की अन्य योजनाओं का लाभ भी नही मिल रहा है।