रायपुर। IBC24 की खास मुहिम ‘जनता मांगे हिसाब’ कार्यक्रम में शुक्रवार को बेमेतरा की जनता ने जोरशोर में अपनी समस्याओं और मुद्दों को उठाया। IBC24 लगातार सामाजिक सरोकारों को मंच दे रहा है। जिसका मकसद केवल जनता की समस्याओं, परेशानियों उनके प्रमुख मुद्दों से जुड़ी है।
बेमेतरा और धमधा ब्लॉक के गांव शामिल
विधानसभा में 1 नगर पालिका और 1 नगर पंचायत
खनिज संपदा से भरपूर
जनसंख्या-306037
मतदाता-196708
पुरुष मतदाता-99532
महिला मतदाता-97176
साहू मतदाता सबसे ज्यादा
वर्तमान में विधानसभा पर बीजेपी का कब्जा
शिवनाथ नदी के दोनों ओर बसे बेमेतरा विधानसभा क्षेत्र राज्य की उन विधानसभा सीटों में से एक है जहां जाति समीकरण नतीजों को खासे प्रभावित करते हैं ..यदि बेमेतरा के सियासी इतिहास की बात की जाए तो
कांग्रेस से इस मजबूत किलों में से एक रहा है..लेकिन 2013 में बीजेपी के अवधेश चंदेल कांग्रेस के इस गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब हुए…उम्मीद है कि कांग्रेस एक बार फिर अपने पुराने गढ़ को वापस पाने जी जान से कोशिश करेगी…वहीं बीजेपी यहां अपनी जड़ें और मजबूर करना चाहेगी। जाहिर है आने वाले चुनाव में इस सियासी जंग का नजारा दिखना तय है।
बेमेतरा के सियासी इतिहास की बात की जाए तो…इस सामान्य सीट पर कांग्रेस ही हावी रही है…1990 और 1998 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो 1962 से लेकर 2008 तक यहां कांग्रेस के उम्मीदवार जीत दर्ज करते रहे हैं..लेकिन 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के अवधेश चंदेल ने कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू को हराकर कांग्रेस से इस सीट को छिन लिया..बेमेतरा में हमेशा से जाति समीकरण हावी रहा है..पार्टियां भी इस बात को ध्यान में रखते हुए अपने उम्मीदवार का चयन करती है।
वैसे तो अब तक इस विधानसभा में कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही कांटे की टक्कर रही है…लेकिन अब दोनों दलों को जोगी कांग्रेस की चुनौती से पार पाना होगा। बीते एक साल में यहां जोगी कांग्रेस की सक्रियता काफी बढ़ी है… पार्टी ने योगेश तिवारी को प्रत्याशी घोषित कर इस सियासी जंग में बढ़त लेने की कोशिश की है.. वहीं कांग्रेस में एक से ज्यादा दावेदारों की लिस्ट पार्टी के लिए सिरदर्द बन सकतीहै। पार्टी में टिकट के लिए सांसद ताम्रध्वज साहू, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष आशीष छाबड़ा, प्रविण वर्मा और साहू समाज से थानेश्वर साहू के बीच घमासान होना तय हैं…वहीं बीजेपी में मौजूदा विधायक अवधेश चंदेल के अलावा यहां कोई बड़ा नाम नजर नहीं आता..आरएसएस से डॉ रघुनंदन तिवारी और प्रदेश सहकार भारती के संगठन मंत्री आशीष तिवारी का नाम भी सबको चौंका सकता है।
अब जब चुनाव होने में कुछ ही महीनों का वक्त बचा है..तो एक बार फिर बेमेतरा में सियासी जंग की तैयारी शुरू हो गई है।
बेमेतरा में सियासी खींचतान के बीच आम आदमी की आवाज सुनने वाले शायद कोई भी नहीं है …यहां पानी,सड़क और बिजली की समस्या तो बड़े मुद्दे बन ही रहे हैं …राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का फायदा भी लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है ..जाहिर है आने वाले चुनाव में नेताओं से पूछने के लिए मतदाताओं के पास सवालों की लंबी फेहरिस्त है रायपुर, बलौदाबाजार और दुर्ग जिले की सीमा से सटे बेमेतरा विधान सभा में दुश्वारियों की कोई कमी नहीं है…जो मुद्दे बनकर आगामी विधानसभा में गूंज सकते हैं। शिवनाथ नदी के किनारे बसे इस क्षेत्र के लोगों को पीने के पानी के लिए तरसना पड़ता है। यही नहीं कृषि प्रधान इलाके में किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलता।
लगातार तीन साल से पड़ रहे सूखे ने यहां के अन्नदाताओं की कमर तोड़ कर रख दी है…ऐसे में फसल बीमा नहीं मिलने से किसान खासे नाराज हैं। .पानी के अलावा यहां सड़क और बिजली का मुद्दा भी आने वाले चुनाव में जमकर गूंज सकता है …वहीं राज्य सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर भी शिकायतों की लंबी फेहरिस्त है। बेमेतरा में अवैध रेत खनन के मुद्दे को लेकर भी सियासी दलों को है। गन्ना किसानों की शुगर फैक्टी की मांग भी अब तक लंबित है..जिला मुख्यालय में मास्टर प्लान की कमी भी लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है।
कुल मिलाकर बेमेतरा में समस्याओं की कोई कमी नहीं है..और आने वाले चुनाव में ये मुद्दा बन कर नेताओं से काफी मश्क्कत करवाने वाली हैं. सियासत की तिकड़मबाजी में माहिर नेता आने वाले चुनाव में इन मुद्दों को कैसे भुनाते हैं ..ये देखना दिलचस्प होगा ।
वेब डेस्क, IBC24
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