IBC24 के खास कार्यक्रम जनता मांगे हिसाब में अब बात मध्यप्रदेश की धरमपुरी विधानसभा की जनता ने अपनी आवाज बुलंद की है। आइए जानते हैं धरमपुरी की समस्याओं और मुद्दों के बारे में-
नर्मदा नदी के किनारे बसी धार जिले की धरमपुरी विधानसभा की सीमा खरगोन और बड़वानी को छूती है.आदिवासी बाहुल्य धरमपुरी का अपना सुनहरा अतीत है तो एक नजर धरमपुरी विधानसभा सीट की प्रोफाइल पर
धरमपुरी की भौगोलिक स्थिति
धार जिले में आती है विधानसभा सीट
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र
बिल्वामृतेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है प्रसिद्ध
रानी रूपमती की जन्मस्थली है धरमपुरी
कपास,गन्ना ,गेंहू,और मक्का की बंपर पैदावार
जनसंख्या-करीब 3 लाख से ज्यादा
मतदाता- 2 लाख 16 हजार
पुरुष मतदाता-1 लाख 10 हजार 117
महिला मतदाता-1 लाख 58 हजार 16
वर्तमान में विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा
कालूसिंह ठाकुर हैं बीजेपी विधायक
धरमपुरी विधानसभा की सियासत
विधानसभा के चुनावी दंगल की तैयारियां दिखाई देने लगी हैं…चुनावी दंगल के पहले ही विधायक की टिकट के लिए ताल ठोक रहे हैं नेता…बीजेपी हो या फिर कांग्रेस दोनों में टिकट की लाइन लंबी दिखाई दे रही है…वर्तमान विधायक से लेकर सांसद तक दावेदारों में शामिल हैं ।
विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरु होते ही विधायक की टिकट की लिए टकटकी लगाए बैठे नेता एक-एक कर सामने आने लगे हैं..बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों में दावेदार ताल ठोक रहे हैं…बीजेपी में वर्तमान विधायक कालूसिंह ठाकुर प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं हालांकि विधायक के खिलाफ विरोधी सुर भी सुनाई दे रहे हैं…धार से बीजेपी सांसद सावित्री ठाकुर भी टिकट की दावेदार मानी जा रही हैं…सांसद के पहले सावित्री ठाकुर जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी हैं…विधानसभा में सावित्री ठाकुर की अच्छी पकड़ मानी जाती है…बीजेपी से एक और विधायक की टिकट की रेस में हैं, वो हैं जयराम गावर जिनके साथ युवाओं की फौज है..ये तो हुए बीजेपी के दावेदार अब कांग्रेस की बात करें तो पूर्व विधायक पांचीलाल मेड़ा टिकट के दावेदारों में सबसे आगे हैं..पांचीलाल मेड़ा धरमपुरी से विधायक रह चुके हैं..बीते चुनाव में विधायक का चुनाव हारने के बाद भी विधानसभा में सक्रिय रहे यही वजह है कि वो कांग्रेस की पहली पसंद बने हुए हैं..इसके अलावा लोकेंद्र सिंह दरबार भी कांग्रेस से दावेदार हैं ।
धरमपुर विधानसभा के प्रमुख मुद्दे
धार जिले की धरमपुरी विधानसबा में विकास की रफ्तार थमी सी नजर आती है….चुनाव से पहले यहां विकास के वादे और दावे तो खूब किए जाते रहे हैं.. लेकिन वो धरमपुरी की धरती पर कभी उतरे ही नहीं…अगर उतरते तो आज लोग बुनियादी सुविधाओं तक के लिए तरसते दिखाई नहीं देते ।
सियासी नक्शे पर भले चमकता हो धरमपुरी लेकिन विकास के नक्शे पर तस्वीर धुंधली नजर आती है…हालत ये है कि बुनियादी सुविधाओं तक के लिए तरस रहे हैं लोग…सड़कों की भी हालत खराब है..स्वच्छता की रेस में भी पिछड़ा नजर आता है धरमपुरी…अतिक्रमण से भी लोग परेशान हैं…कहने को तो नर्मदा नदी के किनारे बसा है धरमपुरी लेकिन इसके बाद भी जलसंकट है..एक-एक बूंद पानी के लिए लोग तरसते दिखाई देते हैं..बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है..रोजगार संसाधनों के अभाव में मजदूर से लेकर शिक्षित युवा तक पलयन को मजबूर हैं…स्कूली शिक्षा के साथ उच्च शिक्षा भी बदहाल नजर आती है…धरमपुरी में उच्च शिक्षण संस्थानों के अभाव में युवा बड़े शहरों का रूख करने को मजबूर हैं…वहीं सरदार सरोवर बांध से प्रभावित कई गांव के लोग पुनर्वास नीति को लेकर आक्रोशित हैं…इसी विधानसभा क्षेत्र में प्रसिद्ध पर्यटक स्थल मांडू है लेकिन इसके बाद भी धरमपुरी की तस्वीर नहीं बदल पाई ।
अब बात करते हैं मध्यप्रदेश के रैगांव विधानसभा सीट की
सबसे पहले सीट की भौगोलिक स्थिति पर डालते हैं एक नजर
सतना जिले में आती है विधानसभा सीट
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है सीट
मतदाता-1 लाख 86 हजार 865
पुरुष मतदाता – 99 हजार 229
महिला मतदाता- 87 हजार 634
वर्तमान में बीएसपी का विधानसभा पर कब्जा
बीएसपी विधायक हैं ऊषा चौधरी
रैगांव विधानसभा की सिसायत
रैगांव विधानसभा सीट सियासी नजरिए से बेहद अहम है क्योंकि इस सीट पर बीएसपी का कब्जा है…अब कांग्रेस और बीजेपी इस सीट पर जीत का परचम लहराने के लिए गुणा-भाग में जुट गई हैं..इस बीच विधायक की टिकट की रेस भी शुरु हो गई है ।
एक दौर था जब कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी रैगांव विधानसभा सीट…लेकिन कुछ समय बाद बीजेपी ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया लेकिन अब बीएसपी के कब्जे में है रैगांव विधानसभा…वर्तमान में रैगांव से बीएसपी विधायक हैं ऊषा चौधरी. अब एक बार फिर विधानसभा की रणभेरी बजने वाली है तो विधायक कि टिकट की रेस शुरु हो चुकी है…बीएसपी से ऊषा चौधरी को इस बार टिकट मिलना तय माना जा रहा है क्योंकि बीएसपी के पास कोई दूसरा चेहरा है ही नहीं..बीजेपी की बात करें तो पुष्पराज बागरी टिकट के दावेदारों में सबसे आगे हैं…रानी बागरी भी बीजेपी में दावेदारों में से एक हैं…इसके अलावा बीजेपी से धीरू बागरी भी टिकट की रेस में शामिल हैं… बात कांग्रेस की करें तो दावेदारों की कतार लंबी नजर आती है…कल्पना वर्मा, गया बागरी,, और प्रगेंद्र बागरी जैसे नेता टिकट के दावेदार हैं..इन सबके बीच कुछ निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में नजर आ सकते हैं ।
रैगांव विधानसभा के प्रमुख मुद्दे
रैगांव में चुनावी साल में सियासी शोरगुल तो खूब सुनाई दे रहा है लेकिन इसी शोरगुल के बीच अब जनता मांग रही है हिसाब..क्योंकि हर बार चुनाव में वादे तो किए गए लेकिन रैगांव के हालत नहीं बदले…आज भी जनता कई समस्याओं से जूझ रही है ।
रैगांव में विकास का पहिया रेंगता नजर आता है. चमचमती सड़कों के दावे तो किए जाते हैं लेकिन सच ये है की सड़कों की हालत खराब है..कई गांवों में आज भी रोड कनेक्टिविटी नहीं है..कोठी को तहसील बनाने की मांग सालों से की जाती रही है लेकिन ये मांग अब तक अधूरी है…रैगांव में बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है. उद्योगों की कमी के चलते लोग पलायन को मजबूर हैं… इसके अलावा जलसंकट से भी जूझ रहे हैं लोग…बरनी नहर की योजना तो बनी लेकिन हुआ कुछ नहीं. रैगांव में स्वास्थ्य सुविधाओं की भी हालत खराब है..डॉक्टरों और जरूरी संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं अस्पातल…खेती पर निर्भर इस इलाके में उप मंडी की मांग भी अब तक पूरी नहीं हो सकी है..स्कूली शिक्षा की तो हालत खराब है ही..उच्च शिक्षा में भी पिछड़ा नजर आता है रैगांव ।
वेब डेस्क, IBC24