जनता मांगे हिसाब: सुवासरा और बुरहानपुर की जनता ने मांगा हिसाब | IBC24 Special:

जनता मांगे हिसाब: सुवासरा और बुरहानपुर की जनता ने मांगा हिसाब

जनता मांगे हिसाब: सुवासरा और बुरहानपुर की जनता ने मांगा हिसाब

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:31 PM IST, Published Date : April 20, 2018/4:21 pm IST

सुवासरा विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति

अब बात मध्यप्रदेश की सुवासरा विधानसभा सीट की..सबसे पहले इसके भौगोलिक स्थिति पर नजर डाल लेते हैं। 

मंदसौर जिले में आती है सुवासरा विधानसभा

सीतामऊ और शामगढ़ जैसे बड़े इलाके शामिल

जनसंख्या- करीब 3 लाख

मतदाता- 2 लाख 31हजार 664 

पुरुष मतदाता-  1 लाख 20 हजार 86 

महिला मतदाता- 1 लाख 11हजार 574 

पाटीदार, पोरवाल, राजपूत बाहुल्य क्षेत्र

बंजारा समाज भी चुनाव में निभाता है अहम भूमिका

वर्तमान में सीट पर कांग्रेस का है कब्जा

कांग्रेस के हरदीप सिंह डंग हैं विधायक

सुवासरा विधानसत्रा क्षेत्र की सियासत

सुवासरा में विधानसभा के चुनावी दंगल की तैयारियां दिखाई देने लगी हैं…चुनावी दंगल के पहले ही विधायक की टिकट के लिए ताल ठोक रहे हैं नेता…बीजेपी हो या फिर कांग्रेस दोनों में टिकट की लाइन लंबी दिखाई दे रही है…सुवासरा सीट पर जाति समीकरण भी काफी अहम है..जाहिर है इसबार भी यहां मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है। 

मंदसौर जिले की सुवासरा विधानसभा सीट..बीजेपी की मजबूत गढ़ों में से रही है..लेकिन 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने उलटफेर करते हुए बीजेपी को मात दी..कांग्रेस के टिकट पर हरदीप सिंह डंग ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राधेश्याम पाटीदार को शिकस्त दी। सियासी जानकारों के मुताबिक को बीजेपी को यहां आंतरिक गुटबाजी और पाटीदारों की नाराजगी के कारण हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि इस बार भी सीट पर बीजेपी में टिकट के लिए घमासान मचना तय है..क्योंकि कई चेहरे सुवासरा से किस्मत आजमाने के लिए सपने संजोए बैठे हैं..इसमें पूर्व विधायक  राधेश्याम पाटीदार का नाम सबसे आगे है..लेकिन  उनका स्वभाव और स्थानीय लोगों में इनके खिलाफ नाराजगी बरक़रार है जो खिलाफ जा सकता है..  प्रियंका गिरी गोस्वामी और अंशुल बैरागी भी बीजेपी से टिकट की रेस में शामिल है..मंदसौर विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया भी इस बार सुवासरा से चुनाव लड़ने का मन रहे हैं..ऐसे में बीजेपी के लिए प्रतयाशी का चयन करना इतना आसान नहीं होगा।  

वहीं दूसरी और कांग्रेस में संभावित उम्मीदावारों की बात की जाए तो वर्तमान विधायक हरदीप सिंह डंग का दावा सबसे मजबूत नजर आता है। 

 वहीं जनपद अध्यक्ष रह चुके ओम सिंह भाटी भी कांग्रेस से टिकट के लिए लाइन में है।

कुल मिलाकर सुवासरा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के सामने है कि वो जीतने वाले उम्मीदवार को ही टिकट दे…सुवासरा में जाति समीकरण भी चुनावी नतीजों पर असर डालते हैं..सुवासरा में पाटीदार, पोरवाल और राजपूत वोटर्स का दबदबा है..ऐसे में पार्टियां इनको नाराज करने का जोखिम नहीं उठाती है…बंजारा समाज भी सुवासरा में चुनावी उलटफेर करने में माहिर मानी जाती है। 

सुवासरा के प्रमुख मुद्दे

मंदसौर जिले की सुवासरा विधानसबा में विकास की रफ्तार थमी सी नजर आती है….चुनाव से पहले यहां विकास के वादे और दावे तो खूब किए जाते रहे हैं.. लेकिन वो सुवासरा की धरती पर कभी उतरे ही नहीं…अगर उतरते तो आज लोग बुनियादी सुविधाओं तक के लिए तरसते दिखाई नहीं देते ।

करीब 3 लाख की जनसंख्या वाले सुवासरा में विकास के लिए घोषणाएं तो बड़ी-बड़ी की गई..लेकिन जमीनी धरातल पर वो कभी उतर ही नहीं पाई…हालात ये है कि आज भी इलाके के छात्रों को हायर सेकेंडरी शिक्षा के लिए 80 किमी दूर तक जाना पड़ता है। सुवासरा में कॉलेज की बिल्डिंग तो स्वीकृत तो हो गई है, लेकिन छात्रों के कॉलेज का सपना कब तक पूरा हो पाएगा कहना मुश्किल है…सुवासरा का बस स्टैंड अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुका है..यहां आने वाले यात्रियों को भी सुविधाओं के कमी के चलते परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यात्रियों की सुविधा के लिए बनाई गई पुलिस चौकी में भी ताले लगे हैं…जलस्त्रोतों के सूख जाने से से पूरे इलाके में सिंचाई और पेयजल की समस्या बनी हुई है.. सरकार के लाख दावों के बाद भी इलाके के लिए चम्बल से पानी लिफ्ट नहीं हो पाया है..

अगर किसानों की बात की जाए तो वो सरकार से खासे नाराज नजर आते हैं.. किसानों का आरोप है कि उन्हें अपनी फसल का लागत मूल्य नहीं मिल पा रहा है।…सीतामऊ-सुवासरा सड़क से लगे गांव तितरोद में सड़क बनाने के कारण बारिश का पानी घरों मे घुस जाता था लिहाजा ग्रामीणों को अपना घर तोड़ना पड़ा जिसका मुआवजा भी सरकार ने ग्रामीणों को अब तक नहीं दिया। 

क्षेत्र में अगर रोजगार की बात करें तो सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में अब तक कोई उद्योग नहीं लग पाया। जिसकी वजह से युवा पलायन करने को मजबूर हैं..कुल मिलाकर सुवासरा में ऐसी कई समस्याएं हैं जिसे लेकर नेता सियासत करते नजर आएंगे। 

बुरहानपुर की भौगोलिक स्थिति

अब बात करते हैं मध्यप्रदेश की एक और विधानसभा सीट की..ये सीट मध्यप्रदेश की हाइप्रोफाइल सीटों में से एक है..दरअसल प्रदेश की महिला  बाल विकास अर्चना चिटनीस विधायक हैं..पावरलूम उद्योग के लिए प्रसिद्ध बुरहानपुर की सियासत पर कभी कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था..लेकिन पिछली दो बार यहां बीजेपी का कब्जा है..बुरहानपुर के भौगोलिक स्थिति की बात करें तो 

बुरहानपुर जिले की प्रमुख सीट

जनसंख्या- 4 लाख 70 हजार 111 

कुल मतदाता- 2 लाख 88 हजार 77 

पुरुष मतदाता- 1 लाख 48 हजार 504

महिला मतदाता-  1 लाख 39 हजार 556 

मुस्लिम मतदाता- 30 फीसदी

मराठा मतदाता-  20 फीसदी

गुजराती मतदाता-  15 फीसदी

दलित मतदाता- 10 फीसदी

अन्य मतदाता-  25 फीसदी

केले की बंपर पैदावार के लिए जाना जाता है

पॉवरलूम उद्योग के लिए जाना जाता है बुरहानपुर

वर्तमान में सीट पर बीजेपी का कब्जा

मप्र की महिला बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस हैं विधायक

बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र की सियासत

जैसे जैसे चुनाव का वक्त नजदीक आ रहा है..बुरहानपुर में सियासी पारा चढ़ने लगा है..बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही दलों में टिकट के लिए कई दावेदार हैं.. बीजेपी से वर्तमान विधायक अर्चना चिटनीस टिकट की सबसे सशक्त दावेदार हैं..हालांकि पार्टी में कई और नेता भी टिकट के लिए सक्रिय हो गए हैं….वहीं दूसरी और कांग्रेस में भी कई नेता टिकट के लिए अपना दावा ठोंक रहे हैं …

ताप्ती नदी के तट पर बसे बुरहानपुर अपने प्राचीन स्थापत्य कला के लिए पूरी दुनिया में पहचान रखता है…बुरहानपुर का इतिहास जितना वैभवपूर्ण रहा है..उतनी ही दिलचस्प यहां की सियासत रही है..1972 से सीट पर कांग्रेस और निर्दलियों का कब्जा रहा है..लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद इस इलाके में ग्रामीण क्षेत्र भी जुड़ गए..जिसका फायदा बीजेपी को मिला..और तब से इस सीट भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। वर्तमान में प्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस पिछली दो बार से यहां विधायक है।  

अब जब चुनावी साल है तो एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस से चुनाव लड़ने वाले नेताओं की भी लिस्ट लंबी होती चली जा रही है.. भाजपा से वर्तमान विधायक अर्चना चिटनीस फिर एक बार टिकट की प्रबल दावेदार  है। लेकिन स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी और पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी अर्चना चिटनीस की दावेदारी मुश्किल में डाल सकती है..टिकट की दौड़ में भाजपा से मध्यप्रदेश राज्य पावरलूम फ़ेडरेशन अध्यक्ष ज्ञानेश्वर पाटिल और अतुल पटेल की भी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है.. वहीं दूसरी और कांग्रेस में संभावित उम्मीदवारों की बात की जाए तो जिला अध्यक्ष अजय रघुवंशी का दावा सबसे मजबूत है.. पीसीसी चीफ अरुण यादव के विश्वासपात्र, साफ छवि और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रो में जनता की बीच मजबूत पकड़ होने से इनका टिकट फाइनल माना जा रहा है… वहीं पूर्व विधायक रविन्द्र महाजन और सलीम कॉटनवाला को भी कांग्रेस से टिकट मिलने की संभावना है। 

बुरहानपुर के प्रमुख मुद्दे

बुरहानपुर विधानसभा के मुद्दों की बात करें तो.. आज भी यहां की जनता बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसती नजर आती है..पावरलूम उद्योग बुरहानपुर की प्रमुख उद्योगों में से एक रही है…लेकिन गलत नीतियों की वजह से उद्योग गर्त में जा चुकी है…वहीं सरकार की उपेक्षा से केले की फसल लेने वाले किसान ठगा सा महसूस कर रहे हैं…कई सालों से यहां केला कलस्टर बनाने की मांग है..लेकिन अब तक उस पर मुहर नहीं लगी..ऐसे कई मुद्दे हैं जिनको लेकर आने वाले चुनाव में क्षेत्र की जनता आवाज बुलंद करेगी..

बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का गृह क्षेत्र है..और  महिला बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस यहां से लगातार दो बार विधायक हैं..बावजूद इसके यह विधानसभा क्षेत्र विकास से कोसों दूर नजर आता है। अवैध शराब बिक्री और अवैध रेत खनन इस क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे हैं…स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो शासन ने बुरहानपुर में 200 बिस्तर का अस्पताल तो बना दिया लेकिन डॉक्टर और अस्पताल स्टॉफ की भर्ती नहीं करा पाया..जहां शहरी क्षेत्रों में पार्किंग व्यवस्था और बेतरतीब ट्रैफिक सिस्टम एक बड़ी समस्या है तो वहीं ग्रामीण क्षेत्र भी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है…ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट एक बड़ा मुद्दा है। उद्योग धंधे की कमी से लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। 

क्षेत्र की जीवनदायिनी ताप्ती नदी की भी हालत खराब है…शहर का गंदा पानी नदी में छोड़े जाने के कारण ताप्ती नदी गंदगी से पटती जा रही है। 

पावरलूम उद्योग बुरहानपुर की रीढ़ की हड्डी मानी जाती है करीब 1 लाख लोग इस रोजगार से जुड़े हैं लेकिन ये उद्योग भी सरकार की गलत नीतियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते की भेंट चढ़ रहा है..बुरहानपुर केले की बंपर पैदावार के लिए जाना जाता है लेकिन सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से केला उत्पादन पर असर पड़ रहा है.. यहां  केला क्लस्टर बनाने की बात तो की गई लेकिन अब तक यह पूरा नहीं हो पाया है। जिसकी वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। 

 

वेब डेस्क, IBC24