जनता मांगे हिसाब: गुंडरदेही की जनता ने मांगा हिसाब

जनता मांगे हिसाब: गुंडरदेही की जनता ने मांगा हिसाब

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  • Publish Date - April 23, 2018 / 11:01 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:47 PM IST

गुंडरदेरी विधानसभा की भौगोलिक स्थिति

बसे पहले बात करते हैं छत्तीसगढ़ की गुण्डरदेही विधानसभा सीट की..गुंडरदेही में भाजपा और कांग्रेस  के बीच हमेशा ही कड़ी टक्कर रही है..लेकिन इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं…गुण्डरदेही विधानसभा की सियासी तासीर की बात करें..लेकिन पहले आपको इस सीट की भौगोलिक स्थिति के बारे में बताते हैं। 

बालोद जिले में आती है गुण्डरदेही विधानसभा

जनसंख्या- 3 लाख 30 हजार 11

कुल मतदाता- 2 लाख 30 हजार 780

पुरुष मतदाता- 1 लाख 58 हजार 97

महिला मतदाता- 1लाख 10 हजार 702

विस क्षेत्र में 163 ग्राम पंचायत और 234 गांव शामिल

वर्तमान में सीट पर आर के राय हैं विधायक

आर के राय कांग्रेस छोड़कर जेसीसीजे में शामिल हुए

गुंडरदेरी विधानसभा क्षेत्र की सियासत

गुंडरदेही की सियासत की बात की जाए तो यहां भाजपा और कांग्रेस  के बीच हमेशा ही कड़ी टक्कर रही है. लेकिन इस बार हालात बदले हुए हैं..वर्तमान विधायक आर के राय के जेसीसीसे में शामिल होने के बाद  गुंडरदेही में त्रिकोणीय मुकाबला है…पिछले चुनाव में सीट को खोने के बाद इस बार भाजपा यहां बेहद सक्रिय है..स्वयं प्रदेश के मुखिया इस क्षेत्र मे दौरा कर मतदाताओ को अपने पक्ष मे करने प्रयासरत है.. वहीं कांग्रेस के सामने इस सीट को बरकरार रखने की चुनौती होगी।

बालोद जिले के गुंडरदेही विधानसभा में सियासी समीकरण काफी बदल गए हैं…और ये बदलाव आया है वर्तमान विधायक आर के राय के अजीत जोगी की पार्टी में शामिल होने से.. आर के राय पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत दर्ज की थी। जाहिर है आर के राय के जेसीसीजे में शामिल होने से यहां कांग्रेस की मुश्किलें जरूर बढ़ गई होगी.. क्योंकि आर के राय गुंडरेदही सीट पर जेसीसीजे के टिकट चुनाव लड़ सकते हैं.. वैसे गुंडरदेही की सियासत हमेशा से दिलचस्प रही है.

2008 में परिसीमन के बाद गुंडरदेही में खेरथा के 135 गांव जुडने से गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र साहू बाहुल्य से आदिवासी बाहुल्य इलाका बन गया ..नतीजे बताते हैं की यहां हमेशा ही साहू फेक्टर काम करता रहा है। 

गुंडरदेही के सियासी इतिहास की बात की जाए तो ये 1962 में अस्तित्व में आई इस सीट पर कांग्रेस के उदयराम पहले विधायक बने …इसके बाद 1967 में यहां से कांग्रेस के वासुदेव चंद्राकर ,1972 में  घनाराम साहू ने निर्दलीय के रूप में चुनाव जीता,1977 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता,इसके बाद 1980 और 1985 के चुनाव कांग्रेस के हरिहर प्रसाद शर्मा ने जीते ,इसके 1990 और 1993 के चुनाव मे भाजपा के टिकट पर ताराचंद ने सफलता पाई ,1998 में घनाराम साहू ने फिर यहां कांग्रेस की वापसी कराई ..लेकिन 2003 में भाजपा की रमशीला साहू ने उन्हें मात दी …2008 में भाजपा ने उम्मीदवार बदलते हुए वीरेंद्र साहू को अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने घनाराम साहू को मात दी ..2013 में भाजपा ने वीरेंद्र साहू पर भरोसा जताते हुए फिर से टिकट दिया..लेकिन कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े आर के राय से 21 हजार280 वोटों से हार गए। 

इस बार भी भाजपा से संभावित प्रत्याशी के रूप मे पूर्व विधायक वीरेन्द्र साहू का नाम सबसे आगे है..इनके अलावा भाजपा जिला अध्यक्ष लेखराम साहू, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष संध्या भारद्वाज, पवन सोनबरसा और  दीपक साहू भी टिकट के दावेदार है.. वहीं कांग्रेस से संभावित उम्मीदवारों में जिला कॉग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अभिषेक शुक्ला का दावा सबसे मजबूत है..हालांकि साहू फैक्टर को देखते हुए पार्टी पूर्व विधायक धनाराम साहू, सतीश साहू, डॉ नारायण साहू, ब्रजेश चन्द्राकर और  संजय साहू को टिकट दे सकती है।  

गुंडरदेही के प्रमुख मुद्दे

पूरी तरह से ग्रामीण गुण्डरदेही इलाके में आने वाले चुनाव को लेकर सरगर्मियां शुरू हो गई हैं …मुद्दे और मसले उछाले जाने लगे हैं …जिनकी यहां कोई कमी भी नहीं है…सिंचाई साधनों के अभाव में किसान बेहतर फसल नहीं ले पा रहे हैं…खेतों में सिंचाई के लिये बनाये गये नहरों का मरम्मत नहीं होने से डेम से छोड़ा गया पानी टेल एरिया तक नही पहुंच पाता..जिसे लेकर किसान खासे नाराज हैं.

 बालोद जिले का गुंडरदेही विधानसभा कृषि प्रधान क्षेत्र है..लेकिन आज भी यहां के किसान विकास के नाम पर उपेक्षित नजर आते हैं.. कृषि के लिए सिंचाई साधनों का नहीं होना यहां सबसे बड़ी समस्या है। खेतों में सिंचाई के लिए बनाए गए नहरों की मरम्मत नहीं होने से डैम का पानी नीचले इलाकों तक नहीं पहुंच पाता..भांठागांव में सिंचाई के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर उद्हन सिंचाई योजना के तहत लिफ्ट इरीगेशन बनाया गया….लेकिन सिर्फ 15 दिन चलने के बाद बंद हो गया..इस लिफ्ट के चलने से 52 गांवों के किसानों को इसका फायदा मिलता..लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही और सुविधा होने के बावजूद किसान सिंचाई के लिए भटक रहे है।

गुंडरदेही में रोड कनेक्टिविटी की बात करें तो दूर दराज के गांवों में सड़को की स्थिति जर्जर हो चुकी है।

इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए स्वास्थ्य केंद्र तो बनाए गए हैं लेकिन मरीजों को इलाज के लिए शहरों का रूख करना पड़ता है..गुंडरदेही क्षेत्र के देवरी और अर्जुन्दा को ब्लॉक मुख्यालय बनाने के लिए यहां की जनता कई वर्षों से मांग कर रही है लेकिन इस पर भी अब तक सरकार ध्यान नही गया है…इसके अलावा मोहदीपाट इलाके में 17 गांव ऐसे हैं जहां के लोगों को गर्मियों में पेय जल संकट से जूझना पड़ता है। लेकिन स्थानीय प्रतिनिधि ने अब तक कोई सुध नहीं ली है

लिहाजा ये कहा जा सकता है गुंडरदेही क्षेत्र में समस्याओं की कोई कमी नहीं है…जाहिर हैं इन समस्याओं  को लेकर यहां नेताओं के खिलाफ लोगों में खूब गुस्सा है और ये गुस्सा आने वाले चुनाव में भी नजर आएगा.. ये तय है

 

वेब डेस्क, IBC24