जनता मांगे हिसाब: भाटापारा में युवाओं पर बेरोजगारी का बोझ, बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी

जनता मांगे हिसाब: भाटापारा में युवाओं पर बेरोजगारी का बोझ, बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी

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  • Publish Date - May 29, 2018 / 11:07 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:21 PM IST

जनता मांगे हिसाब के सफर की शुरुआत करते हैं छत्तीसगढ़ की भाटापारा विधानसभा से..सियासी बिसात और मुद्दों की बात करने से पहले एक नजर विधानसभा की प्रोफाइल पर.

बलौदाबाजार जिले में आती है विधानसभा

कुल मतदाता-2 लाख 23 हजार 4 नवासी 

पुरुष मतदाता- 1 लाख 12 हजार 522

महिला मतदाता- 1 लाख 10 हजार 955

वर्तमान में विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा

शिवरतन शर्मा हैं बीजेपी विधायक

भाटापारा की सियासत

भाटापारा विधानसभा में कांग्रेस की पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती है लेकिन बीते चुनावी समर में कमल खिला था…अब फिर चुनावी रण में कूदने की तैयारी में हैं सियासी दल…चुनाव नजदीक हैं तो टिकट के दावेदार भी अब सामने आने लगे हैं ।

वर्तमान में भले भाटापारा विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा हो लेकिन ये सीट कांग्रेस के गढ़ के तौर पर जानी जाती है…वो इसलिए क्योंकि भाटापारा का सियासी इतिहास ही कुछ ऐसा है…अब तक सिर्फ दो बार बीजेपी को इस विधानसभा सीट पर जीत नसीब हुई है..जबकि कांग्रेस 7 बार अपनी जीत का परचम लहरा चुकी है…बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी के शिवरतन शर्मा ने कांग्रेस के चैतराम साहू को करारी शिकस्त दी थी.

अब फिर चुनाव नजदीक हैं तो तगड़ी तैयारियों में जुट गईं है पार्टियां…तो वहीं विधायक की टिकट के दावेदार भी सक्रिय हो चले हैं.. बात बीजेपी की करें तो वर्तमान विधायक शिवरतन शर्मा प्रबल दावेदार हैं…अब बात कांग्रेस की करें तो दावेदारों की लिस्ट लंबी है…दावेदारों में सबसे पहला नाम है पूर्व विधायक राधेश्याम शर्मा के बेटे अमित शर्मा का..इसके अलावा

 सुनील माहेश्वरी, सतीश अग्रवाल, सुशील शर्मा,पूर्व विधायक राजकमल सिंघानिया और इंद्र साव टिकट की आस में हैं…तो वहीं प्रदेश की नई नवेली पार्टी JCCJ ने तो कांग्रेस से विधायक रह चुके चैतराम साहू को उम्मीदवार घोषित कर दिया है ।

भाटापारा के मुद्दे

विकास की दौड़ में पीछे छूटा नजर आता है भाटापारा…इलाके में एक नहीं कई समस्याओं से जूझ रही है जनता..चुनाव आते ही वादे और दावे तो किए जाते हैं लेकिन हालात नहीं बदलते 

भाटापारा में हर जगह समस्याओं के पहाड़ दिखाई देते हैं..कहने को तो विकास कार्य हुए लेकिन गुणवत्ता को लेकर सवालों के घेरे में हैं…कागजों में सरकारी योजनाएं जरुरी बनी लेकिन वो धरातल पर उतरती दिखाई नहीं देती..सबसे ज्यादा अगर परेशान है तो किसान..हालत ये की लागत मूल्य तक के लिए तरस रहा है अन्नदाता..तो वहीं सिंचाई के अभाव में खेत प्यासे हैं.

बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है क्योंकि रोजगार के साधन हैं ही नहीं नतीजा पलायन के लिए मजबूर हैं लोग…इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधाओँ की भी हालत खराब है..अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी अब तक पूरी नहीं हो सकी है…भाटापारा विधानसभा में पेयजल संकट भी एक बड़ी समस्या है गर्मियों में तो एक-एक बूंद पानी के लिए तरस जाती है जनता…इन सबके के बीच अवैध रेत उत्खनन भी धड़ल्ले से जारी है..इसके अलावा भाटापारा में ट्रेनों के स्टॉपेज की मांग भी लंबे समय से की जाती रही है…वहीं भाटापारा को जिला बनाने की मांग भी अब तक पूरी नहीं हो सकी है ।

 

वेब डेस्क, IBC24