इंदौर का एक ऐसा परिवार .. जिनका देश की आज़ादी में बड़ा योगदान

इंदौर का एक ऐसा परिवार .. जिनका देश की आज़ादी में बड़ा योगदान

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  • Publish Date - August 15, 2017 / 02:50 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:02 PM IST

 

देशभर में 70 वे स्वतंत्रता दिवस की धूम है। हर कोई स्वतंत्र भारत की गाथाओ का बखान करता दिख रहा है। लेकिन इसी बीच इंदौर का एक ऐसा परिवार भी है जिनका आज़ादी के इन 70 सालो में बड़ा योगदान रहा है। आज़ादी उत्सव पर आज आपको सुनाते है दिखित परिवार की अनूठी दास्तान जिसकी पांच पीढ़ियों ने सेना में भर्ती होकर देश की सेवा की है और अपनी शहादत भी देश के नाम दी है।

इंदौर में रहने वाली 77 साल की हेमलता दिखित यूं तो खुद भी शहर की नामी लेखिका हैं और पीजी कॉलेज धार के प्रिंसिपल पद से रिटायर हुई हैं । लेकिन इसके बावजूद उन्हें तब ज्यादा फक्र होता है, जब कोई उन्हें फौजी परिवार की बेटी कहता है, हेमलता के परिवार की खासियत ये है की पांच पीढ़ियों से कोई न कोई सदस्य सेना में ज़रूर रहा है ।

हेमलता के एक बड़े भाई महू में रहते है और सेना से रिटायर्ड हैं । वे एकलौते ऐसे अफसर है जो वर्ल्ड वॉर 2 के प्रत्यक्षदर्शी हैं । जबकि दूसरे बड़े भाई मेजर अजीत सिंह कांगुल में शहीद हुए थे, लंबे वक्त तक जब उनकी बॉडी नहीं मिली तो सेना ने उन्हें शहीद घोषित कर दिया, लेकिन हेमलता के पिता जब तक थे उन्हें यही उम्मीद रही कि आज नहीं तो कल उनका बेटा लौट आएगा और इसी उम्मीद में एकदिन वे खुद चल बसे । 

हेमलता के परिवार का गुरखा और मराठा पलटन से खास लगाव रहा है, अब उनकी छटी पीढ़ी का भी यही संकल्प है कि परिवार में से कोई न कोई फ़ौज में ज़रूर जाएगा, वहीं हेमलता अपने परिवार पर भी एक किताब ‘घर की छावनी’ भी लिख चुकी हैं जिसमें उन्होंने अपने परिवार के करीब 15 फौजी अफसरों के ज़िक्र किया है ।