‘शेरनी’ उन अनगिनत महिलाओं की कहानी है जो बदलाव लाने का प्रयास कर रहीं : विद्या बालन

'शेरनी' उन अनगिनत महिलाओं की कहानी है जो बदलाव लाने का प्रयास कर रहीं : विद्या बालन

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  • Publish Date - June 15, 2021 / 02:54 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:07 PM IST

मुंबई, 15 जून (भाषा) फिल्म अभिनेत्री विद्या बालन ने मंगलवार को कहा कि उनकी नवीनतम फिल्म ‘शेरनी’ उन अनगिनत महिलाओं की कहानी है, जो अनेक चुनौतियों से पार पाते हुए, बिना किसी शोर-शराबे के अपनी राह पर चलती रहती हैं।

अमित मासुरकर की फिल्म में, बालन ने एक ईमानदार वन अधिकारी की भूमिका निभाई है, जिन्हें मानव-पशु संघर्ष को सुलझाने का काम सौंपा जाता है।

एक डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, अभिनेत्री ने कहा कि फिल्म सभी प्रकार की महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती है, जो बदलाव लाने का प्रयास कर रही हैं।

बालन ने कहा, ‘आपको शेरनी बनने के लिए दहाड़ने की जरूरत नहीं है। ‘शेरनी’ के विभिन्न रंग, प्रतिबिंब हैं जो हम में से प्रत्येक का प्रतिनिधित्व करते हैं। मेरा किरदार चुपचाप रहने वाली लेकिन मजबूत इरादों वाली महिला का है। तो आप वह हो सकते हैं।

बालन ने संवाददाताओं से कहा, ‘आपको हर समय सुनने के लिए या हर समय दिखाई देने के लिए छतों से जोर से चिल्लाने की जरूरत नहीं है। भारत के प्रत्येक घर में, एक ‘शेरनी’ होती है और अनेक बार वह अदृश्य होती है। यह फिल्म उन सभी को मेरा सलाम है।’

टी-सीरीज और अबुंदंतिया एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित, ‘शेरनी’ 18 जून को अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम होने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

42 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा कि जीवित रहने और लड़ने की इच्छा सभी में निहित होती है।

उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना ​​​​है कि हर महिला एक शेरनी है। वह जीवन नामक इस घने जंगल के माध्यम से अपना रास्ता खुद बनाती है। हम लगातार चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। मैं जानती हूं कि आज महिलाएं हर कदम पर ऐसा (कठिनाईयों पर काबू पाना) कर रही हैं, इसका कारण यह है कि हम ऐसा इसलिए कर पा रहे हैं क्योंकि हमसे पहले की महिलाओं ने ऐसा किया है।’

‘शकुंतला देवी’ (2020), ‘मिशन मंगल’ (2019) और ‘तुम्हारी सुलु’ (2017) जैसी फिल्मों की एक श्रृंखला के बाद, ‘शेरनी’ एक महिला को सबसे आगे रखने और उसके संघर्ष को बयां करने वाली बालन की नवीनतम फिल्म है।

‘शेरनी’ में बालन के अलावा शरद सक्सेना, मुकुल चड्ढा, विजय राज, इला अरुण, बृजेंद्र काला और नीरज कबी भी हैं।

भाषा कृष्ण पवनेश

पवनेश