महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री ने अपने लिए जनसंपर्क एजेंसी की नियुक्त रद्द की

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री ने अपने लिए जनसंपर्क एजेंसी की नियुक्त रद्द की

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  • Publish Date - May 13, 2021 / 12:40 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:52 PM IST

मुंबई, 13 मई (भाषा) महाराष्ट्र में विपक्षी भाजपा ने कोविड-19 संकट के बीच उपमुख्यमंत्री अजीत पवार का सोशल मीडिया संभालने के लिए एक निजी एजेंसी नियुक्त करने के वास्ते छह करोड़ रुपये आवंटित करने के फैसले पर बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथों लिया।

फैसलों को लेकर हमलों का सामना कर रहे पवार ने कहा कि उनके दफ्तर का सोशल मीडिया संभालने के लिए किसी बाहरी एजेंसी को नियुक्त करने की कोई जरूरत नहीं है और इस बाबत सरकार के आदेश को रद्द करने के लिए निर्देश जारी किए।

राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने जन-उन्मुख निर्णयों, पहलों, नीतियों और उपमुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं के बारे में विभिन्न सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से लोगों को जानकारी प्रसारित करने के लिए एक बाहरी एजेंसी की नियुक्ति के लिए बुधवार को आदेश जारी किया था।

सरकार ने 2021-22 में इसके लिए 5.98 करोड़ रुपये का व्यय तय किया था।

उद्धव ठाकरे नीत महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार की आलोचना करते हुए भाजपा विधायक अतुल भटखलकर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और अजीत पवार के जनसंपर्क की कवायद के वास्ते लिए गए फैसले को रद्द करने की मांग की।

भटखलकर ने एक वीडियो संदेश में कहा, “ऐसी खबरें हैं कि उनके जनसंपर्क कवायद पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाएंगे। इस तरह के खर्च को रद्द किया जाना चाहिए और मामले की पूरी जांच होनी चाहिए।”

भाजपा ने राकांपा प्रमुख शरद पवार पर बिना नाम लिए तंज कसा।

उन्होंने कहा, “उनके उपचार के बाद, उपमुख्यमंत्री के चाचा (शरद पवार) ने किसानों का पक्ष लेने के बजाय, रेस्तरां और बार संचालकों पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए, मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है। डॉक्टरों और नर्सों को भुगतान करने की बात आने पर राज्य सरकार कोष की कमी का हवाला देती है, लेकिन उसके पास पीआर (जन संपर्क) एजेंसी को रखने के लिए पैसे हैं।”

इस मुद्दे पर भाजपा पर पलटवार करते हुए राज्य में मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि जो लोग छह करोड़ रुपये के कथित खर्च पर उंगली उठा रहे हैं, उन्हें पूर्व में मुख्यमंत्री और मंत्रियों की जनसंपर्क गतिविधियों पर खर्च की गई राशि पर ध्यान देना चाहिए।

वह महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस और उनके मंत्रियों का जिक्र कर रहे थे।

मलिक ने कहा, “सरकार में काम करने के दौरान लोगों तक सूचना का प्रसार करना आवश्यक है। ”

उन्होंने कहा, “विपक्ष को समझना चाहिए कि ( छह करोड़ रुपये की) यह राशि जनसंपर्क गतिविधियों पर केंद्र द्वारा खर्च की जाने वाली रकम से अधिक नहीं है।”

इस बीच अजीत पवार के कार्यालय ने इस मुद्दे पर एक बयान जारी किया।

अजीत पवार ने बयान में कहा है, “उपमुख्यमंत्री कार्यालय के सोशल मीडिया को संभालने के लिए किसी बाहरी एजेंसी को नियुक्त करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। इस संबंध में सरकार के फैसले को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।”

भाषा

नोमान उमा

उमा