लाल आतंक का जवाब क्रिकेट से, आजादी के बाद नक्सलगढ़ में पहली बार फ्लड लाइट मैच | Night cricket matches in naxalites area

लाल आतंक का जवाब क्रिकेट से, आजादी के बाद नक्सलगढ़ में पहली बार फ्लड लाइट मैच

लाल आतंक का जवाब क्रिकेट से, आजादी के बाद नक्सलगढ़ में पहली बार फ्लड लाइट मैच

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 PM IST, Published Date : January 7, 2019/11:39 am IST

दोरनापाल। शहर से लेकर गांव तक इन दिनों क्रिकेट का सीजन चल रहा है ऐसे में बच्चे बूढ़े सभी में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। ऐसा ही कुछ नजारा देखने मिला नक्सलियों की अघोषित राजधानी सुकमा में । कभी लालघाटी के नाम से प्रसिद्ध इस इलाके में रात्रि कालीन क्रिकेट मैच का आयोजन किया गया। जिसमें ग्रामीणों के साथ साथ सीआरपीएफ के जवानों के साथ स्कूली बच्चों ने भी बढ़ -चढ़ कर हिस्सा लिया। इसमें कोबरा 206 बटालियन के डीसी रमेश यादव के नेतृत्व में स्कूल में पढ़ने वाले तक़रीबन तीन सौ बच्चों ने हिस्सा लिया। बताया जा रहा है कि नक्सलियों के भी के कारण आज तक इस तरह के रात्रिकालीन मैच का आयोजन करने की हिम्मत किसी की नहीं होती थी।

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पहली बार हुए इस आयोजन में रात में क्रिकेट खेलना बच्चों के लिए किसी सपने के सच होने से कम नहीं था। दरअसल चिंतागुफा नक्सल प्रभावित इलाक़ा होने के चलते यहाँ आज भी वो सुविधाएँ उपलब्ध नहीं है। जिससे यहाँ लोग आम इलाक़े के लोगों की तरह जीवन यापन कर सके बीते कुछ समय में यहाँ पुलिस व कोबरा सीआरपीएफ़ एवं प्रशासन की मेहनत का नतीजा है.कि यहाँ सब कुछ धीरे धीरे बेहतर होते नज़र आ रहा है। ऐसे में यहाँ रात में क्रिकेट मैच आजाद भारत में सम्भव होने का मतलब यही माना जा रहा है की इलाक़े में शांति का वातावरण बहुत दूर नहीं है।

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इस मैच के दौरान कोबरा के निखिल कुमार एसी सीआरपीएफ़ 150 बटालियन एसी सत्यनारायन डीआरजी कमांडर मनीष मिश्रा एसटीएफ़ कमांडर नागदेव और नवरतन चिंतागुफा के थाना प्रभारी विक्रांत सहित थाना और कोबरा के अन्य अधिकार उपस्थित थे। ज्ञात हो कि चिंतागुफा वह इलाक़ा है जहाँ अब तक देश के सबसे अधिक जवानों ने अपनी प्राणो की आहुति दी है।चिंतागुफा थाना क्षेत्र में बीते दस वर्षों में 1 सौ 50 जवान नक्सली हमले में शहीद हो चुके है ।इनमें से सबसे अधिक वर्ष 2010 में हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ़ के 76 जवानों ने अपनी शहादत दी थी वही ज़िला बल एवं कोबरा के जवान भी यहाँ शहीद हुए है।