सुलगते सिलगेर में अब सुलह, ग्रामीणों का आंदोलन खत्म, केवल धरने के रूप में सुकमा में जारी रहेगा प्रदर्शन

सुलगते सिलगेर में अब सुलह, ग्रामीणों का आंदोलन खत्म, केवल धरने के रूप में सुकमा में जारी रहेगा प्रदर्शन

सुलगते सिलगेर में अब सुलह, ग्रामीणों का आंदोलन खत्म, केवल धरने के रूप में सुकमा में जारी रहेगा प्रदर्शन
Modified Date: November 29, 2022 / 08:53 pm IST
Published Date: June 9, 2021 10:28 am IST

बीजापुर, छत्तीसगढ़। सिलगेर में ग्रामीणों का आंदोलन खत्म हो गया है। अब केवल धरने के रूप में ही सुकमा में आंदोलन जारी रहेगा। धरने की अनुमति के लिए प्रदर्शनकारी कलेक्टर से मिलेंगे। आंदोलन में बैठे मुलवासी बचाओ मंच के सदस्य सीएम से भी मुलाकात करेंगे। सुलगते सिलगेर को लेकर तर्रमे में बढ़ी संख्या में ग्रामीणों ने सभा कर ये फैसला किया है।

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सुलगते सिलगेर को लेकर राजधानी रायपुर से बीजापुर के तर्रेम तक बैठकों का दौर चला। तर्रेम में प्रशानिक अधिकारियों से ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात हुई। तो रायपुर में जनसंगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम भूपेश बघेल और राज्यपाल अनुसुईया उइके से मुलाकात की।

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मंगलवार को आंदोलनरत ग्रामीणों का प्रतिनिधिमंडल सोनी सोरी और गोंडवाना समन्वय समिति के अध्यक्ष तेलम बोरैया के नेतृत्व में तर्रेम पहुंचा। जहां पर उन्होंने कलेक्टर, SP और DIG से मुलाकात की। करीब 3 घंटे चली मुलाकात के बाद ग्रामीण बुधवार को सिलगेर में चल रहे आंदोलन को खत्म करने पर राजी हो गए, हालांकि सुकमा में धरना जारी रहेगा।

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इधर राजधानी में भी मुलाकात का दौर चला। जनसंगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की। बाद में प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल अनुसुईया उईके से भी मिलने पहुंचा। सीएम ने कहा कि क्षेत्र के लोगों की विकास से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिये राज्य सरकार तत्पर है।

ये है पूरा मामला

माओवाद प्रभावित सुकमा ज़िले के सिलगेर में पुलिस फ़ायरिंग में तीन आदिवासियों की मौत के बाद लगातार विरोध प्रदर्शन कर सीआरपीएफ कैंप हटाने की मांग कर रहे थे। सिलगेर पंचायत के तीन गांवों के अलावा आस-पास के कम से कम 40 गांवों के लोग केंद्रीय रिज़र्व पुलिस फ़ोर्स (सीआरपीएफ़) की 153वीं बटालियन के कैंप के ख़िलाफ़ सड़कों पर थे।

प्रदर्शनकारियों में शामिल अरलमपल्ली गांव के सोडी दुला कहते हैं, “सरकार कहती है कि सड़क बनाने के लिए पुलिस का कैंप बनाया गया है लेकिन इतनी चौड़ी सड़क का हम आदिवासी क्या करेंगे?”


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