गोल्ड मेडलिस्ट दिव्यांग खिलाड़ी भीख मांगने को मजबूर, नौकरी के लिए कलेक्ट्रेट में कर चुका है अनशन
गोल्ड मेडलिस्ट दिव्यांग खिलाड़ी भीख मांगने को मजबूर, नौकरी के लिए कलेक्ट्रेट में कर चुका है अनशन
नरसिंहपुर। ऐसा प्रतीत होता है कि मध्यप्रदेश के मुखिया की घोषणाएं महज लोकलुभावन वादों का जमा खर्च है। सीएम को घोषणा थी कि स्टेट लेवल के दिव्यांग एथलीट को सरकारी नौकरी दी जाएगी। लेकिन नरसिंहपुर का गोल्ड मेडलिस्ट मनमोहन सिंह लोधी आज सिस्टम के सितम से परेशान होकर राजधानी में भीख मांगने को मजबूर है।
भोपाल की सड़कों पर भीख मांगता यह दिव्यांग कोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि गोल्ड मेडलिस्ट एथलीट है, जिसने प्रदेश में ही नहीं बल्कि राष्टीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए प्रदेश का नाम रोशन किया। लेकिन सीएम के पैरो पर गिरकर नौकरी की गुहार लगाने और नरसिंहपुर कलेक्ट्रेट में अनशन करने के बावजूद उसे निराशा ही हाथ लगी।
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अब हालात यह है की इस दिव्यांग मेडलिस्ट को दो वक्त की रोटी के लिए भीख मांगने पर मजबूर होना पड़ रहा है। मनमोहन बताते हैं कि वह तीन बार सीएम से मिलकर निवेदन कर चुके है और स्थानीय जिला प्रशासन से गुहार भी लगा चुके पर शायद यह सरकार दिव्यांगों की हितैषी नहीं है।
उन्होंने बताया कि मैंने स्टेट लेवल पर टॉप और गोल्ड मेडल जीता एवं नेशनल में भी सैकेंड रैंक से कांस्य पदक जीता। यहां तक कि भारत सरकार के खेल विभाग द्वारा राष्टीय पुरस्कार के लिए सर्वश्रेठ दिव्यांग खिलाडी के लिए नामित भी हूं। फिर भी शासन की किसी योजना का लाभ आज तक मुझे नहीं मिला।
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वहीं जिला प्रशासन भी दिव्यांग के आवेदनों को शुरू से ही डस्टबिन में डालता रहा है और सवाल पूछे जाने पर उनके पास हर बार की तरह एक ही रटा–रटाया जवाब सुनने को मिलता है कि हम उस मामले को दिखवाते हैं। जल्द ही दिव्यांग को योजना का लाभ मिलेगा।
मध्यदेश के नरसिंहपुर में एक एथलीट इतना बेबस होने को मजबूर होना पड़ा कि नौबत भीख मांगने तक आ पहुंची पर दिव्यांग की पीड़ा न सूबे के मुखिया को दिखाई पड़ रही है और न ही योजनाओं के संचालक सरकारी अफसरानों को जिससे मनमोहन के जीते गोल्ड मेडलों की चमक तो फीकी पड़ने ही लगी है साथ ही मुखिया के दावों और वादों की पोल भी खुलती नजर आ रही है
वेब डेस्क, IBC24

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