सरदार सरोवर बांध के प्रभावितों का आंदोलन जारी

सरदार सरोवर बांध के प्रभावितों का आंदोलन जारी

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  • Publish Date - July 31, 2017 / 05:00 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:43 PM IST

 

सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावितों का आज से पुनर्वास होना है. लेकिन धार, बड़वानी और खरगोन जिले के गांवों के लोग अपने-अपने तरीके से आंदोलन पर डटे हुए हैं.  शासन और प्रशासन इस बात की कोशिश कर रहा है कि पुनर्वास शांतिपूर्ण तरीके से पूरा हो. इन जिलों में कानून व्यवस्था को लेकर भी पुख्ता तैयारी का दावा किया जा रहा है। वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में लगी एक याचिका पर सुनवाई अब 8 अगस्त को होगी।

आंदोलन की इन तस्वीरों के पीछे सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावितों का दर्द है. धार, बड़वानी और खरगोन जिले के डूब प्रभावित गांवों के लोग आंदोलन पर डटे हुए हैं. इन जिलों के 43 गांव में लोग चूल्हा बंद सत्याग्रह कर रहे हैं. वहीं जल सत्याग्रह से लेकर कफन सत्याग्रह और धरना प्रदर्शन, चक्काजाम भी जारी है। धार के चिखल्दा में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की भूख हड़ताल भी जारी है. 

वहीं, ये मामला सोमवार को फिर से सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया. जहां NBA की ओर से वकीलों ने विस्थापितों को जबरन हटाने के खिलाफ याचिका दायर कर डूब प्रभावित इलाकों की फोटोग्राफ्स भी पेश की. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका मंजूर कर सुनवाई के लिए 8 अगस्त तारीख तय की है. लेकिन डेड लाइन बढ़ाने को लेकर कोई दिशा निर्देश नहीं दिए। इधर भोपाल में इस मसले पर मुख्यसचिव बी पी सिंह ने आपात बैठक ली. जिसमें पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी शामिल रहे. 

वहीं पुलिस के आला अधिकारी के मुताबिक डूब प्रभावित इलाकों में हालात नियंत्रण में हैं. आंदोलनकारियों के नाम पर हिंसा फैलाने की कोशिश करने वाले उपद्रवियों पर पुलिस की नज़र है. IG लॉ एंड ऑर्डर के मुताबिक स्पेशल आर्म्ड फोर्स की तीन कंपनियां तैनात हैं और हालात बिगड़ने पर और भी कंपनियां भेजी जाएंगी।

इधर, खरगोन पहुंचे प्रभारी मंत्री विजय शाह ने कहा कि सरकार की ओर से जितना विस्थापन किया जाना था उससे कहीं अधिक मुख्यमंत्री ने मानवता को ध्यान में रखते हुए विस्थापन का काम अपने हाथ में लिया है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने गुजरात और मध्यप्रदेश की सरकारों से अपील की है कि अगली बारिश तक पुर्नवास के इंतज़ाम करने के बाद ही विस्थापन किया जाए. डूब प्रभावितों ने एक ओर आंदोलन तेज कर दिया है।  तो वहीं, शासन और पुलिस की चिंता है कि किस तरीके से शांति के साथ पुनर्वास पूरा हो. साथ ही, अब नजर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई पर भी रहेगी।