IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022: Success Story of 12th Topper Leesha Lohia

IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022 : धुर माओवादी इलाके से लीशा ने जगाई उम्मीद की किरण..

IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022 : धुर माओवादी इलाके से लीशा ने जगाई उम्मीद की किरण..

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 03:40 AM IST, Published Date : July 7, 2022/3:51 am IST

रायपुर। IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022 :  अपने सामाजिक सरोकारो को निभाते हुए IBC24 समाचार चैनल हर साल स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप सम्मान से जिले की टॉपर बेटियों को सम्मानित करता है। इस साल भी IBC24 समाचार चैनल की ओर से स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप दिया जा रहा है। IBC24 की ओर से दी जाने वाली स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप केवल टॉपर बेटियों को ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक संभाग के टॉपर बेटों को भी दी जाएगी। सुकमा जिले की लीशा लोहिया ने जिले का मान बढ़ाया है। 12वीं परीक्षा में 474 अंक हासिल किया। लीशा लोहिया ने आईएमएसटी अंग्रेजी माध्यम हा. से. स्कूल, सुकमा में अपना पढ़ाई पूरी की है।

लीशा लोहिया ने कहा कि “परीक्षा के ठीक पहले मुझे चिकनपॉक्स ने घेर लिया। बमुश्किल परीक्षा में बैठ पाई। एक दिन तो परीक्षा हॉल में ही 7 मिनट की देरी से पहुंच सकी। लेकिन आज टॉपर हूं तो तसल्ली है।“

धुर माओवादी इलाके से लीशा ने जगाई उम्मीद की किरण

लीशा लोहिया की जुबानी.. मैं बस्तर के एक ऐसे पिछड़े इलाके से आती हूं, जहां तक कइयों की अप्रोच नहीं हो पाती। हमारे पास अनेक संसाधन भी नहीं होते। मगर मैं मानती हूं जब आप संसाधनविहीन हों तभी तो जीवन में चुनौति होती है। धुर माओवाद प्रभावित इलाके में स्कूलों की हालत भी कोई बहुत अच्छी नहीं होती। बीतो कुछ वर्षों में तो यहां ग्रामीण अंचल में अनेक स्कूल ही बंद हो गए थे। लेकिन अब सरकार ने फिर से खोलना प्रारंभ किया है। शिक्षादूत योजना के माध्यम से अनेक स्कूलों को रिवाइव किया गया है। दोरनापाल जैसे अति माओवाद प्रभावित, दुर्गम, पहुंचविहीन इलाके से मैं आती हूं। सुकमा में पढ़ती हूं। मेरा हौसला ये है कि मुझे इन तमाम चुनौतियों को मात देते हुए ही टॉपर बनना था। इस मकसद में मैं कामयाब रही। क्योंकि स्कूल की हर क्लास में हर हाल में टॉपर रहने की मेरी आदत रही है। इसके लिए मेरे परिजनों ने भरपूर मदद की। स्कूल शिक्षकों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। आज जब मैं टॉपर बन गई तो खुशी होती है। यह खुशी इसलिए और अधिक होती है, क्योंकि येन परीक्षा के समय मुझे चिकनपॉक्स ने घेर लिया था। हालत ऐसी नहीं थी कि मैं परीक्षा दे पाऊं। लेकिन मम्मी-पापा ने प्रेरित किया। सालभर के मेहनत खराब न हो, परीक्षा दो। मैं 7 मिनट देर से परीक्षा हॉल पहुंची। मगर आज तसल्ली है कि वह संघर्ष काम आया। मैं अफसर बनकर बस्तर की सेवा करना चाहती हूं। आईबीसी-24 की स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप ने मेरा मान बढ़ाया है। ऐसे प्रेरक प्रयासों से ही हमारा समाज सकारात्मक होता है।