छत्तीसगढ़ का जनजातीय बाहुल्य जिला सरगुजा के सीमांत क्षेत्र में बसा डीपाडीह पुरा संपदा के लिहाज से छत्तीसगढ़ का सबसे समृद्ध और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है..चारों ओर से पहाड़ी श्रंखला और सरना के वृक्ष के जंगलों से घिरा हुयी ये जगह प्राकृतिक सौंदर्य के लिहाज से भी बेजोड़ है। डीपाडीह अंबिकापुर,कुसमी मार्ग पर 72 किलोमिटर की दूरी पर स्थित है.सन् 1988 में डीपाडीह के प्राचीन पत्थरों को हजारों जाने और फिर मिट्टी की खुदाई के बाद यहां से अनेक प्राचीन और दुर्लभ कलाकृतियां दुनिया के सामने निकलकर आयी।
डीपाडीह अब एक महत्वपूर्ण पुरावत्व और पर्यटन केन्द्र के रुप में प्रसिद्ध है.डीपाडीह के इस मंदिर को सामंत सरना के नाम से जाना जाता है.यहां पर अलग अलग समूहों में कई मंदिरों के खंडित अवशेष है.लेकिन इन सबमें ये शिव मंदिर और अनेक प्रकार के छोटे बड़े आकार के मंदिर स्थित है.सामंत सरना के प्रमुख शिव मंदिर के प्रवेश द्वार की कलाकृति बेहद ही कलात्मक है.जिसमें लक्ष्मी विराजमान है।
छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक इतिहास के नवनिर्माण में डीपाडीह से ज्ञात स्थापना कला शैली,मूर्ति शिल्प और अभिलेखों का विशेष महत्व है…यहां की मूर्तियों को सहेजकर मूर्तिशाला में रखा छत्तीसगढ़ का जनजातीय बाहुल्य जिला सरगुजा के सीमांत क्षेत्र में बसा डीपाडीह पुरा संपदा के लिहाज से छत्तीसगढ़ का सबसे समृद्ध और महत्तवपूर्ण एतिहासिक स्थल है…चारों ओर से पहाड़ी श्रंखला और सरना के वृक्ष के जंगलों से घिरा हुयी ये जगह प्राकृतिक सौंदर्य के लिहाज से भी बेजोड़ है। डीपाडीह अंबिकापुर,कुसमी मार्ग पर 72 किलोमिटर की दूरी पर स्थित है…सन् 1988 में डीपाडीह के प्राचीन पत्थरों को हजारों जाने और फिर मिट्टी की खुदाई के बाद यहां से अनेक प्राचीन और दुर्लभ कलाकृतियां दुनिया के सामने निकलकर आयी.डीपाडीह अब एक महत्वपूर्ण पुरावत्व और पर्यटन केन्द्र के रुप में प्रसिद्ध है….डीपाडीह के इस मंदिर को सामंत सरना के नाम से जाना जाता है.यहां पर अलग अलग समूहों में कई मंदिरों के खंडित अवशेष है….लेकिन इन सबमें ये शिव मंदिर और अनेक प्रकार के छोटे बड़े आकार के मंदिर स्थित है.सामंत सरना के प्रमुख शिव मंदिर के प्रवेश द्वार की कलाकृति बेहद ही कलात्मक है.जिसमें लक्ष्मी विराजमान है।
वेब डेस्क IBC24