भाजपा और बसपा के ‘गठबंधन’ ने हराया : धर्मेंद्र यादव

भाजपा और बसपा के 'गठबंधन' ने हराया : धर्मेंद्र यादव

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  • Publish Date - June 26, 2022 / 06:21 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:46 PM IST

आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश), 26 जून (भाषा) आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव ने अपनी पराजय के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के ‘गठबंधन’ को जिम्मेदार करार दिया है।

यादव ने संवाददाताओं से बातचीत में उपचुनाव में अपनी हार के कारणों के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘मैं अपनी हार के लिए भाजपा-बसपा के गठबंधन को बधाई दूंगा, जो प्रत्यक्ष तौर पर राष्ट्रपति के चुनाव में भी सामने आ गया। आजमगढ़ के चुनाव में यह गठबंधन पहले से ही चल रहा था।’

उन्होंने कहा कि अगर वे दोनों गठबंधन करके मुझे हराकर खुश हैं, तो वे अपनी खुशी का इजहार जरूर करें।

गौरतलब है कि आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को 8,679 मतों से पराजित किया। यह सीट सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दिए जाने के कारण रिक्त हुई थी।

पूर्व में बदायूं से सांसद रह चुके धर्मेंद्र यादव ने भाजपा पर तमाम तरीके के षड्यंत्र रचने के आरोप लगाए। धर्मेंद्र ने कहा, ‘मुख्यमंत्री कल बनारस में रुके थे, क्यों रुके थे, वह अधिकारियों को क्या निर्देश दे रहे थे। मुझे क्यों सुबह से रोका जा रहा था? क्यों हमारी मतदाता सूची से नाम काटे गए, क्यों हमारे हजारों कार्यकर्ताओं को लाल कार्ड दिए गए।’

उपचुनाव में मौका देने के लिए सपा नेतृत्व को धन्यवाद देते हुए यादव ने चुनाव नहीं जीत पाने के लिए माफी भी मांगी। उन्होंने कहा कि वह सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की बनाई हुई परंपरा को कायम नहीं रख पाए, लेकिन वर्ष 2024 में आजमगढ़ के लोग सपा को एक बार फिर यहां से जिताएंगे।

उन्होंने एक सवाल पर कहा कि वह अगला लोकसभा चुनाव आजमगढ़ से लड़ेंगे या बदायूं से, इसका फैसला तो पार्टी नेतृत्व करेगा, लेकिन वह अब जीवन में कभी आजमगढ़ को छोड़ने वाले नहीं है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के उपचुनाव प्रचार के लिए आजमगढ़ नहीं आने संबंधी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के बयान के बारे में धर्मेंद्र यादव ने कहा कि अखिलेश यादव ने पूरे चुनाव को व्यवस्थित करने में कोई कमी नहीं छोड़ी।

भाषा सलीम संतोष

संतोष