बरेली में अदालत ने आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा की न्यायिक हिरासत बढ़ाई, अगली सुनवाई 22 दिसंबर को

बरेली में अदालत ने आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा की न्यायिक हिरासत बढ़ाई, अगली सुनवाई 22 दिसंबर को

बरेली में अदालत ने आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा की न्यायिक हिरासत बढ़ाई, अगली सुनवाई 22 दिसंबर को
Modified Date: December 9, 2025 / 10:23 pm IST
Published Date: December 9, 2025 10:23 pm IST

बरेली (उप्र), नौ दिसंबर (भाषा) बरेली में हुए बवाल में गिरफ्तार इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा की मंगलवार को अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेशी हुई और एक बार फिर उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि को 14 दिन के लिए बढ़ा दिया गया।

तौकीर रजा की सुनवाई मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) अलका पांडेय की अदालत में हुई। पेशी के दौरान अदालत ने तौकीर रजा की न्यायिक हिरासत को एक बार फिर 14 दिन के लिए बढ़ा दिया है।

वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी लवलेश सिंह ने बताया कि तौकीर रजा की 22 दिसंबर को अगली पेशी होगी। रजा को 26 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने उन्हें बरेली बवाल का मुख्य साजिशकर्ता माना था और उनके खिलाफ कुल 10 मुकदमे दर्ज किए थे।

 ⁠

रजा इस समय उप्र की फतेहगढ़ स्थित केंद्रीय कारागार में बंद हैं। उन्होंने बरेली अदालत में जमानत के लिए आवेदन किया था, लेकिन राहत नहीं मिली और जमानत खारिज कर दी गई।

गिरफ्तारी के बाद पहले उन्हें बरेली जेल भेजा गया, फिर उसी दिन फतेहगढ़ केंद्रीय कारागार में भेज दिया गया।

तौकीर रजा पर दंगा भड़काने, उकसाने, वीडियो वायरल कर प्रशासन को धमकाने और हत्या की साजिश जैसी गंभीर धाराओं में मामले दर्ज हैं।

बरेली में ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर विवाद से बवाल भड़का था और 26 सितंबर को हुए इस बवाल के दौरान पुलिस उपद्रवियों को खदेड़ रही थी।

रजा ने ऐलान किया था कि जुमा की नमाज के बाद इस्लामिया ग्राउंड में बड़ी संख्या में लोग जुटेंगे। नवरात्र और उर्स एक साथ होने की वजह से प्रशासन ने धारा 163 लागू की थी और प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी थी।

इसके बावजूद तौकीर रजा ने वीडियो जारी कर प्रशासन और सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर लोगों को रोका गया तो अंजाम ठीक नहीं होगा।

जब पुलिस ने भीड़ को रोकने की कोशिश की तो पथराव और फायरिंग शुरू हो गई। उपद्रवियों ने पुलिस पर पेट्रोल बम तक फेंके। पुलिस ने लाठीचार्ज कर हालात को काबू में किया था।

भाषा सं आनन्द संतोष

संतोष


लेखक के बारे में