बसपा की रैली का लक्ष्य बिहार में भाजपा की जीत सुनिश्चित करना था : उदित राज
बसपा की रैली का लक्ष्य बिहार में भाजपा की जीत सुनिश्चित करना था : उदित राज
लखनऊ, दो नवंबर (भाषा) कांग्रेस नेता एवं पूर्व सांसद उदित राज ने रविवार को दावा किया कि कांशीराम जी की पुण्यतिथि पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती द्वारा लखनऊ में आयोजित रैली का वास्तविक उद्देश्य बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जीत दिलाना था।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांशीराम जी की पुण्यतिथि पर लखनऊ में रैली सिर्फ एक बहाना थी, असली निशाना बिहार में भाजपा को जिताना था।’’
उदित राज ने आरोप लगाया कि मायावती ने अब तक उत्तर प्रदेश में भाजपा को चुनाव जिताने का काम किया है, लेकिन अब उन्होंने बिहार का भी ठेका ले लिया है।
उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘‘बिहार में भाजपा को जिताने के लिए मायावती जी ने लखनऊ में रैली आयोजित की थी। उस समय ही संदेह तो हुआ था इसके पहले कांशीराम जी के पूर्ण तिथि पर (ऐसा) कभी नहीं किया। रैली का असर हुआ कि बिहार विधानसभा चुनाव में न केवल टिकट के दाम बढ़े बल्कि ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) गठबंधन का वोट कटेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जय और विरु की दोस्ती से क्या कम है? गलत नहीं कहते हैं लोग मुंह में आंबेडकर और दिल में कमल।’’
बिहार विधानसभा के लिए छह और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा, जबकि 14 नवंबर को मतगणना की जाएगी।
इन चुनावों में मुकाबला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद)-कांग्रेस सहित विपक्षी गठबंधन के बीच है।
राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बिहार में इस बार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी तीसरे मोर्चे के रूप में चुनाव मैदान में है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कई बार कहा है कि विशेष गहन पुरीक्षण (एसआईआर) अभियान मतदाता सूची के शुद्धीकरण का हिस्सा है।
उदित राज ने सवाल उठाया, ‘‘उत्तर प्रदेश के दलित कर्मचारी और अधिकारी, हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की हत्या पर चुप क्यों हैं?’’
उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई पर जूता फेंका गया। यदि भाजपा की सरकार ना होती तो क्या कोई ऐसा करने की सोच भी सकता था?’’
उदित राज ने आरोप लगाया कि हरिओम वाल्मीकि की हत्या और उत्तर प्रदेश में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचार इस सरकार की नीतियों का परिणाम हैं।
भाषा राजेंद्र खारी
खारी

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