लखनऊ, 12 सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में लूट कांड के एक आरोपी की पुलिस से मुठभेड़ में मौत को लेकर जारी राजनीतिक बयान बाजी के बीच प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य पुलिस ‘ट्रिगर-हैप्पी’ (मनमाने तरीके से गोली चलाने वाली) नहीं है।
उन्होंने कहा कि पुलिस, मुठभेड़ जैसे मामलों में स्थापित नियम कायदों का सख्ती से पालन करती है और संवैधानिक निकायों की ओर से उसे किसी आलोचना का सामना नहीं करना पड़ा है।
कुमार की टिप्पणी सुल्तानपुर जिले में हाल ही में हुई 1.5 करोड़ रुपये के आभूषण लूट मामले के आरोपी मंगेश यादव की पुलिस से हुई कथित मुठभेड़ में मौत के बाद आई है। इस मुठभेड़ को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं।
समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा पर जाति और धर्म के आधार पर लोगों को निशाना बनाने के लिए फर्जी मुठभेड़ करने का आरोप लगाया है।
यादव ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि भाजपा शासन के दौरान मुठभेड़ों के आंकड़े ‘अवैध हत्याओं के अन्याय’ और ‘पीडीए (पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक) के खिलाफ किए गए अन्याय’ के भी आंकड़े हैं।
डीजीपी कुमार ने कहा कि पुलिसकर्मी तभी मुठभेड़ में शामिल होते हैं, जब बदमाश उन पर गोली चलाते हैं।
सुल्तानपुर में आभूषणों की लूट की हालिया घटना के बारे में यहां एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘ऐसी स्थितियों में जब न्याय के पक्ष में कार्रवाई की जाती है, तो गलतफहमियां फैलाई जाती हैं।’
डीजीपी ने कहा, ‘ऐसी अफवाहें भी फैलाई जाती हैं कि उत्तर प्रदेश पुलिस ट्रिगर-हैप्पी है। यह पूरी तरह अनुचित है।’
डीजीपी ने पुलिस पर लगाए जा रहे हैं फर्जी मुठभेड़ के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सभी पुलिस कार्रवाईयां उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार की जाती है।
उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी संवैधानिक इकाई ने पुलिस बल की मुठभेड़ की कार्रवाई के बारे में कोई चिंता नहीं जताई है।
डीजीपी ने मुठभेड़ों में पुलिस के बल प्रयोग का बचाव करते हुए बताया कि अभियान के दौरान अक्सर पुलिस अधिकारी अपराधियों की गोलियों का शिकार होते हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बल सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखते हुए कानून के दायरे में काम करने का प्रयास करता है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कि मुठभेड़ में पुलिस द्वारा पीडीए (पिछड़े दलित अल्पसंख्यक) के आरोपियों को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है, डीजीपी ने कहा, ‘राजनीतिक बातों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं होती। मैं ऐसे आरोपों का सीधे तौर पर खंडन करता हूं। किसी अपराधी की जाति या समुदाय को ध्यान में रखकर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। अगर यह पाया जाता है कि किसी ने निजी लाभ के लिए कार्रवाई की है तो उसके लिए जांच और कार्रवाई की पर्याप्त व्यवस्था है।’
संवाददाता सम्मेलन में मौजूद अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) अमिताभ यश ने कहा, ‘सुलतानपुर में हुई घटना के पीछे गिरोह का सरगना विपिन सिंह था। वह पहले भी ऐसी कई घटनाओं में आरोपी रहा है।’
उन्होंने कहा कि घटना को अंजाम देने से पहले आरोपियों ने दो बार दुकान की टोह ली थी। आरोपियों ने जौनपुर जिले से दो मोटरसाइकिल भी चुराई थीं, जिनका इस्तेमाल घटना में किया गया। आरोपी ने भागने के लिए कार का इस्तेमाल किया था।
सुल्तानपुर में डकैती 28 अगस्त को मेजरगंज चौक के ठठेरी बाजार में भारत ज्वैलर्स में हुई थी। इस मामले के 15 आरोपियों में से तीन की पहचान सचिन सिंह, पुष्पेंद्र सिंह और त्रिभुवन के रूप में हुई है, जबकि एक मंगेश एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मारा गया। बाद में विपिन ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस ने बुधवार को दुर्गेश प्रताप सिंह, विनय शुक्ला, अरविंद यादव उर्फ फौजी और विवेक सिंह को गिरफ्तार किया।
भाषा सलीम धीरज
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