दलितों को कांग्रेस के चुनावी हथकंडे से सावधान रहना चाहिए : मायावती ने चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाए जाने पर कहा |

दलितों को कांग्रेस के चुनावी हथकंडे से सावधान रहना चाहिए : मायावती ने चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाए जाने पर कहा

दलितों को कांग्रेस के चुनावी हथकंडे से सावधान रहना चाहिए : मायावती ने चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाए जाने पर कहा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:24 PM IST, Published Date : September 20, 2021/6:17 pm IST

लखनऊ, 20 सितंबर (भाषा) पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के पहले दलित मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिए जाने के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को इसे कांग्रेस का ‘‘चुनावी हथकंडा’’ करार दिया और कहा कि दलितों को इससे सावधान रहना चाहिए।

पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से गठबंधन करने वाली बसपा की प्रमुख ने पत्रकारों से कहा कि चाहे पंजाब हो या उत्तर प्रदेश या अन्य कोई राज्य, ‘‘जातिवादी दल’’ दलितों को जो भी दे रहे हैं, वह उनके वोट पाने के लिए और स्वार्थ सिद्धि के लिए है, न कि उनके (दलितों) उत्थान के लिए।

उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब में दलित समुदाय के व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया जाना चुनावी हथकंडा है, इसके सिवाय कुछ नहीं है। मीडिया के जरिये मुझे आज पता चला है कि पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव चन्नी के नेतृत्व में नहीं, बल्कि गैर दलित के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा, जिससे यह साफ जाहिर है कि कांग्रेस को अब भी दलितों पर पूरा भरोसा नहीं है।’’

बसपा प्रमुख ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, ‘‘दलित वर्ग के लोगों को उसके (कांग्रेस) दोहरे चाल-चरित्र से बहुत सावधान रहना चाहिए। मुझे पूरा भरोसा है कि पंजाब के दलित वर्ग के लोग इस हथकंडे में कतई नहीं आएंगे।’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए शिअद व बसपा के बीच हुए गठबंधन से बहुत ज्यादा घबराई हुई है।

उल्लेखनीय है कि बसपा और शिअद ने पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए गत जून में गठबंधन किया था। शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने घोषणा की थी कि यदि उनका गठबंधन जीतता है तो दलित समुदाय से उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा।

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हकीकत यह है कि इनको (कांग्रेस) व अन्य विरोधी पार्टियों को मुसीबत में या मजबूरी में ही दलित लोग याद आते हैं।

डॉ. भीमराव आंबेडकर का संदर्भ देते हुए मायावती ने कहा कि अंग्रेजों के भारत छोड़कर जाने के बाद ‘‘कांग्रेस के पास यदि कोई और ज्यादा काबिल आदमी होता तो वह किसी भी कीमत पर बाबा साहेब को भारतीय संविधान बनाने में शामिल नहीं करती।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दलितों, आदिवासियों, और अन्य पिछड़ा वर्ग को जो कानूनी अधिकार मिले, वे तब संभव नहीं हो पाते। यहां तक कि धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों को भी जो सुरक्षा मिली है, वह सिर्फ इसलिए क्योंकि आंबेडकर ने भारतीय संविधान को जाति या धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि धर्मनिरपेक्षता के आधार पर तैयार किया।’’

मायावती ने कहा कि पंजाब की तरह ही उप्र विधानसभा चुनाव में कुछ समय बचा है और यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का ओबीसी समाज के प्रति नया प्रेम उभरा है जो ‘‘दिखावटी तथा हवाहवाई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर यह प्रेम सच्चा होता तो ये (भाजपा) केंद्र व राज्यों में अपनी सरकारें होने के कारण सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी व एसटी) के बैकलॉग को भर देते और जाति आधारित जनगणना की मांग को स्वीकार कर लेते। आज भी एससी/एसटी का मामला हो या ओबीसी का, सरकारी नौकरियों में इनके पद अभी भी खाली पड़े हैं।’’

बसपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘भाजपा और अन्य जातिवादी दल जाति आधारित जनगणना की बात से डरते हैं क्योंकि उनके लोगों ने उस समय हिंसक प्रदर्शन किया था जब मंडल आयोग की सिफारिशें लागू की गई थीं।’’

मायावती ने कहा, ‘‘दलितों की तरह अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग भी कांग्रेस, भाजपा या किसी अन्य जातिवादी दल के झांसे में नहीं आएंगे क्योंकि वे जानते हैं कि उन्हें जो भी मिला है, आंबेडकर के प्रयासों से मिला है।’’

उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब या अन्य किसी राज्य में दलित या पिछड़ा समुदाय के लोग इस तरह के झांसे में नहीं आएंगे।

पंजाब के मालवा क्षेत्र के रूपनगर जिले से ताल्लुक रखनेवाले चन्नी को मुख्यमंत्री बनाना कांग्रेस का काफी अहम कदम है क्योंकि राज्य की आबादी में लगभग 32 प्रतिशत लोग दलित समुदाय से हैं।

भाषा जफर नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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