मुजफ्फरनगर (उप्र), 24 जनवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश के शामली की विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने वर्ष 2013 में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा तथा दो अन्य अभियुक्तों को साक्ष्यों के अभाव में मंगलवार को बरी कर दिया।
बचाव पक्ष के वकील शगुन मित्तल ने बताया कि विशेष एमपी/एमएलए अदालत के न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार ने पूर्व मंत्री राणा तथा मामले के दो अन्य अभियुक्तों घनश्याम पारचा एवं राधेश्याम पारचा को सुबूतों के अभाव में दोषमुक्त करार दिया है।
उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्ष उनके मुवक्किलों के खिलाफ दर्ज मुकदमे में आरोप साबित नहीं कर सका।
गौरतलब है कि जून 2013 में शामली में हरिद्वार की रहने वाली एक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी। वारदात का आरोप दूसरे संप्रदाय के युवकों पर लगा था। घटना के विरोध में राणा तथा हिंदू संगठनों के लोगों ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर शामली में धरना दिया था।
पुलिस द्वारा बल प्रयोग किये जाने के बाद पथराव एवं आगजनी हुई थी और इस दौरान कई वाहनों में आग लगा दी गयी थी और सार्वजनिक सम्पत्ति में तोड़फोड़ की गयी थी। इसी मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था।
भाषा सं सलीम रंजन
रंजन
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