वाराणसी (उप्र), 18 मई (भाषा) ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में एक सरकारी अधिकारी की टिप्पणी के विरोध में वकीलों की हड़ताल के बाद बुधवार को यहां की स्थानीय अदालत में सुनवाई नहीं हो सकी।
मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता अभय यादव ने कहा कि बनारस बार एसोसिएशन और सेंट्रल बार एसोसिएशन वाराणसी, उप्र शासन के विशेष सचिव की टिप्पणी से नाराज हैं । इसलिए वकीलों ने बुधवार को कार्य बहिष्कार किया और इसी कारण आज अदालत में सुनवाई नहीं हुई।
अभय यादव ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने आज अर्जी देकर हिंदू पक्ष की उस याचिका पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए अदालत से दो दिन का समय मांगा है जिस पर अदालत ने अभी तक फैसला नहीं दिया है ।
हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर पूरे देश की निगाहें टिकी है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में हमने बनारस बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को पत्र लिख कर इस मामले में सुनवाई करने के लिये आज छूट की मांग की थी। अधिवक्ताओं के हित को देखते हुए बार काउंसिल ने अपनी असहमति जता दी है। अदालत के खुलने पर अब याचिका पर सुनवाई होगी।’’
ज्ञानवापी मामले में दाखिल दो याचिकाओं पर आज सुनवाई होनी थी।
मंगलवार को रेखा पाठक, मंजू व्यास और सीता साहू ने अदालत में अर्जी देकर कहा था कि जहाँ शिवलिंग स्थित है उसके पूरब की तरफ दीवार में तहखाना है, जिसे ईंट, पत्थर और सीमेंट से बंद कर दिया गया है। इसमें मांग की गयी है कि नंदी के मुख के सामने वाले तहखाने को मलबे से ढंक दिया गया है, जिसे हटाते हुए कमीशन की कार्रवाई की जाये।
अदालत ने इस अर्जी को स्वीकार करते हुए बुधवार को सुनवाई के आदेश दिया था।
साथ ही जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र पांडे की ओर से परिसर में स्थित मानव निर्मित तालाब के पानी में से मछलियों को हटाने की मांग करने के साथ ही वाजुखाने की पाइप लाइन को शिफ्ट करने के लिए याचिका मंगलवार को दाखिल की गई थी। जिसकी आज सुनवाई होनी थी।
भाषा सं जफर रंजन माधव
माधव
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