लखनऊ, पांच अगस्त (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने पूर्व सांसद मेनका गांधी की ओर से समाजवादी पार्टी (सपा) के सुलतानपुर संसदीय क्षेत्र से नवनिर्वाचित सांसद राम भुआल निषाद के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका की पोषणीयता पर सुनवाई पूरी करने के बाद सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति राजन रॉय की पीठ ने मेनका गांधी की ओर से दाखिल चुनाव याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है।
प्रतिवादी ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि याचिकाकर्ता ने चुनाव याचिका दाखिल करने की समय सीमा समाप्त होने के सात दिन बाद याचिका दाखिल की है, इसलिए यह याचिका पोषणीय नहीं है।
मेनका गांधी की ओर से उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि याचिका दाखिल करने में हुई देरी को माफ किया जाना चाहिए और याचिका की गुण-दोष के आधार पर सुनवाई होनी चाहिए।
लूथरा ने अपनी दलील के समर्थन में कुछ मिसालें भी पेश कीं। याचिका में मेनका गांधी ने दावा किया कि राम भुआल निषाद ने नामांकन के समय दाखिल हलफनामे में अपने आपराधिक इतिहास से जुड़ी जानकारी छिपाई है।
गांधी की ओर से यह दलील दी गई है कि निषाद के खिलाफ 12 आपराधिक मामले लंबित हैं, जबकि उन्होंने अपने हलफनामे में सिर्फ आठ मामलों की जानकारी दी है।
याचिका में कहा गया है कि निषाद ने गोरखपुर जिले के पिपराइच थाने के दो और बड़हलगंज थाने के तीन आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाई है।
याचिका में निषाद का निर्वाचन रद्द करने और याचिकाकर्ता मेनका गांधी को निर्वाचित घोषित करने की मांग की गई है।
हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में निषाद ने भाजपा उम्मीदवार मेनका गांधी को सुलतानपुर संसदीय क्षेत्र में पराजित किया था।
सुलतानपुर में मेनका गांधी ने भाजपा के टिकट पर 2019 में विजयश्री हासिल की थी। इसके पहले 2014 में मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी ने सुलतानपुर का प्रतिनिधित्व किया था।
भाषा सं आनन्द नोमान
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