विश्व कछुआ दिवस पर चम्बल नदी में छोड़े गये सैकड़ों लुप्तप्राय कछुए |

विश्व कछुआ दिवस पर चम्बल नदी में छोड़े गये सैकड़ों लुप्तप्राय कछुए

विश्व कछुआ दिवस पर चम्बल नदी में छोड़े गये सैकड़ों लुप्तप्राय कछुए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 PM IST, Published Date : May 22, 2022/5:11 pm IST

इटावा (उत्तर प्रदेश), 22 मई (भाषा) विश्व कछुआ दिवस पर रविवार को लुप्तप्राय प्रजाति के कछुओं के करीब 300 बच्चे चम्बल नदी में छोड़े गये।

अंतरराष्ट्रीय कछुआ संरक्षण संगठन टर्टल सर्वाइवल अलायंस (टीएसए) और अग्रणी परिधान कम्पनी टर्टल लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में गंभीर रूप से लुप्त हो रहे रेड क्राउंड रूफ्ड टर्टल (बटागुर कछुआ) और थ्री स्ट्रिप्ड रूफ्ड टर्टल (तीन-धारियों वाला कछुआ) के लगभग 300 हैचलिंग (अंडे से निकले बच्चे) रविवार को चम्बल नदी क्षेत्र में छोड़े गये।

इस अवसर पर दोनों पक्षों के बीच एक समझौता पत्र पर दस्तखत भी किये गये। इसके तहत टर्टल लिमिटेड कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के अंतर्गत टीएसए इंडिया की कछुआ संरक्षण परियोजनाओं में उसका सहयोग करेगी।

टीएसए के विकास शोधकर्ता डॉक्टर सौरभ दीवान ने इस अवसर पर कहा ”टीएसए इंडिया कार्यक्रम का प्रबंधन भारतीय संरक्षण जीवविज्ञानियों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा किया जाता है। यह संस्था कछुओं को बचाने के लिए स्थानीय समाधान तलाशती है। टीएसए पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र एवं चंबल क्षेत्रों, उत्तर-पूर्व भारत और दक्षिण भारत में कछुओं का संरक्षण कर रहा है।”

उन्होंने बताया कि ‘चंबल संरक्षण परियोजना वर्ष 2006 में शुरू की गई थी। यह उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ संयुक्त रूप से प्रमुख परियोजनाओं में से एक है जो ताजे पानी में रहने वाले कछुओं की दो लुप्तप्राय प्रजातियों रेड क्राउंड रूफ्ड टर्टल और थ्री स्ट्रिप्ड रूफ्ड टर्टल पर केंद्रित है। हर साल इन दो प्रजातियों के तीन सौ घोंसलों की चम्बल के आसपास क्षेत्र में रक्षा की जाती है।”

टर्टल लिमिटेड के ब्रांड मैनेजर रूपम देब ने दुर्लभ प्रजाति के कुछओं के बच्चों को नदी में छोड़े जाने के अवसर पर कहा ‘हम लोगों, पृथ्वी और समाज की स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस प्रतिबद्ध ढांचे के एक हिस्से के रूप में टर्टल लिमिटेड ने टीएसए की विशेषज्ञ टीम के साथ साझेदारी की है, ताकि कछुआ संरक्षण और आसपास के वनस्पतियों और जीवों की संरक्षण से संबंधित गतिविधियों और परियोजनाओं से जुड़कर योगदान दिया जा सके।

टीएसए इंडिया की परियोजना अधिकारी अरुणिमा सिंह ने कहा, ‘इन घोंसलों को नदी के किनारे हैचरी में संरक्षित किया जाता है और अंडों से निकलने वाले बच्चों को तुरंत उन जन्म स्थलों पर छोड़ दिया जाता है, जहां घोंसले हैं ताकि जानवर इनके अण्डों का कम से कम शिकार कर पाएं।’

टर्टल लिमिटेड की पूरे भारत में 150 से अधिक एक्सक्लूसिव ब्रांड आउटलेट्स और बड़े पैमाने पर स्टोर्स में मौजूदगी है।

भाषा सलीम रंजन

रंजन

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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