प्रौद्योगिकी के युग में हस्तशिल्प कारीगरों का सांस्कृतिक विरासत को संजोना जरूरी : राज्यपाल पटेल

प्रौद्योगिकी के युग में हस्तशिल्प कारीगरों का सांस्कृतिक विरासत को संजोना जरूरी : राज्यपाल पटेल

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  • Publish Date - October 10, 2025 / 06:25 PM IST,
    Updated On - October 10, 2025 / 06:25 PM IST

लखनऊ, 10 अक्टूबर (भाषा) उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शुक्रवार को कहा कि प्रौद्योगिकी के इस युग में पारंपरिक हस्तशिल्प कारीगरों द्वारा हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

राज्यपाल ने लखनऊ के कैसरबाग स्थित सफेद बारादरी में ‘ग्रामश्री’ एवं ‘क्राफ्टरूट्स’ द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद एक समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान ने कारीगरों को नए अवसर प्रदान किए हैं, जिससे न केवल उनकी आजीविका सुरक्षित हो रही है बल्कि वे अपने परिवारों का भी भरण-पोषण कर पा रहे हैं।”

आनंदीबेन पटेल ने संस्था की अध्यक्ष अनारबेन पटेल के 25 वर्षों के समर्पित प्रयासों की भी प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने (अनारबेन पटेल ने) इस क्षेत्र में सक्रिय रहते हुए टीम के साथ मिलकर कारीगरों के कल्याण के लिए निरंतर काम किया है।

एक बयान के मुताबिक, 10 से 14 अक्टूबर तक आयोजित इस प्रदर्शनी में देशभर के पारंपरिक कारीगर अपने उत्कृष्ट हस्तशिल्प प्रस्तुत करेंगे।

राज्यपाल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘क्राफ्टरूट्स’ प्रदर्शनी कारीगरों के श्रेष्ठ कार्य और हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।”

उन्होंने प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा पांच हस्तशिल्प कारीगरों को प्रतिष्ठित ‘डॉक्टर ऑफ लिटरेचर’ की मानद उपाधि प्रदान करने की सराहना की और कहा कि यह सम्मान पहले केवल पद्मश्री और पद्म विभूषण पुरस्कार विजेताओं को दिया जाता था।

आनंदीबेन पटेल ने इसे हाथ से काम करने वाले कारीगरों की विरासत को संरक्षित करने और उनके उत्कृष्ट कार्य को मान्यता देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने इस अवसर पर कहा कि यह प्रदर्शनी लगातार तीसरे वर्ष लखनऊ में आयोजित की जा रही है और यह केवल एक प्रदर्शनी नहीं बल्कि भारत की पारंपरिक हस्तनिर्मित कला और कारीगरी को वैश्विक मंच तक पहुंचाने का एक सशक्त प्रयास है।

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदर्शनी में देश के 22 से अधिक राज्यों के हुनरमंद कारीगरों के उत्पाद अपनी संस्कृति, परंपरा और कलात्मकता का उत्कृष्ट उदाहरण है।

भाषा आनन्द जितेंद्र

जितेंद्र