(अभिनव पांडेय)
लखनऊ, 29 अप्रैल (भाषा) देश में हो रहे लोकसभा चुनावों में अन्य राजनीतिक दलों के विपरीत ‘मेरा अधिकार राष्ट्रीय दल’ (एमएआरडी) के लिए चुनाव जीतना या हारना कोई मायने नहीं रखता, बल्कि इस दल ने ‘मर्दों’ की आवाज बनने और पुरुषों के सम्मान की रक्षा के लिए चुनावी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है।
वर्ष 2018 में अपने गठन के बाद से अब तक ‘एमएआरडी’ ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ा है, उन सभी पर उसकी जमानत जब्त हो गई, लेकिन उसके नेताओं का कहना है कि वे चुनावी हार से कतई विचलित नहीं हैं।
पार्टी ने लोकसभा चुनाव-2024 के लिए जारी किये गये अपने ‘घोषणापत्र’ में ‘‘बेटों के सम्मान में, मर्द उतरे मैदान में” नारा दिया है।
पार्टी ने अब तक तीन सीटों (लखनऊ, रांची और गोरखपुर) के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है।
‘एमएआरडी’ (मर्द) ने इसके पहले सात अलग-अलग सीटों पर हुए चुनावों में हिस्सेदारी की है। उसने 2019 में वाराणसी और लखनऊ में लोकसभा चुनाव, 2020 में बांगरमऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव, 2022 में बरेली, लखनऊ उत्तर, बख्शी का तालाब (लखनऊ) और चौरीचौरा (गोरखपुर) सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ा।
‘एमएआरडी’ के राष्ट्रीय महासचिव आशुतोष कुमार पांडेय ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हम पुरुषों के सम्मान में, महिला सुरक्षा के नाम पर प्रताड़ित और शोषित लोगों के लिए आवाज उठाने के लिए मैदान में उतरे हैं। जीत और हार हमारे लिए कोई मायने नहीं रखती।’’
जब उनसे इस बार चुनाव लड़ रहे उनकी पार्टी के उम्मीदवारों के चुनाव परिणाम के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया ‘‘इस बार भी वे लोग अपनी जमानत गंवा सकते हैं।’’
पांडेय ने कहा, ‘‘हमारे पास बहुत सारे संसाधन नहीं हैं और हम चंदा भी नहीं लेते हैं। हमारे उम्मीदवार अपने खर्च पर चुनाव लड़ते हैं। चुनाव लड़ने का फायदा यह है कि अब अधिक पार्टियां पुरुषों के मुद्दों को उठाने के लिए आगे आ रही हैं।’’
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कपिल मोहन ने कहा ‘‘आधी आबादी को सशक्त बनाने की कोशिश में पुरुषों को ‘दबाया’ जाता है। पार्टी इस मुद्दे को उजागर करना चाहती है ताकि लोग इस पर ध्यान दें।’’
पार्टी के ‘घोषणापत्र’ में वादा किया गया है कि एक अलग पुरुष कल्याण मंत्रालय और ‘राष्ट्रीय पुरुष आयोग’ बनाया जाएगा ताकि कोई भी नीति या कानून बनाने से पहले पुरुषों के दृष्टिकोण को ध्यान में रखा जाए।
पांडेय ने कहा, ‘‘इससे पुरुषों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और सम्मान को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।’’
एमएआरडी ने पुरुषों को ‘‘महिलाओं के लिए बने कानूनों’’ के शोषण से बचाने के लिए पुरुष सुरक्षा विधेयक लाने का भी वादा किया है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि पुरुषों का पक्ष सुना जाए, पांडे ने कहा कि पार्टी ने महिला पावर लाइन की तर्ज पर एक ‘‘मेन पावर लाइन’’ बनाने का वादा किया है। ‘‘यह उसी तरह होगा जैसे एक हेल्पलाइन (महिला पावर लाइन) उत्पीड़न, पीछा करने आदि के मामलों में महिलाओं को तत्काल सहायता प्रदान करती है।’’
पांडेय ने कहा कि पार्टी ने महिलाओं की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का भी वादा किया है ताकि पुरुषों को “गुजारा भत्ता के नाम पर परेशान” न किया जाए।
उन्होंने दावा किया कि हर दिन 200 से अधिक पुरुष आत्महत्या करते हैं ‘‘क्योंकि उनकी बात कोई ठीक से नहीं सुनता। ’’ उन्होंने कहा कि लोग धीरे-धीरे पुरुषों के अधिकारों के बारे में अधिक जागरूक होंगे और यही उनका उद्देश्य है।
भाषा अभिनव आनन्द
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