न्यायिक हिरासत में सहयोगियों की हत्या से डर गया था मुख्तार अंसारी, शीर्ष अदालत में लगायी थी गुहार

न्यायिक हिरासत में सहयोगियों की हत्या से डर गया था मुख्तार अंसारी, शीर्ष अदालत में लगायी थी गुहार

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  • Publish Date - March 29, 2024 / 03:37 PM IST,
    Updated On - March 29, 2024 / 03:37 PM IST

(चंदन कुमार)

लखनऊ, 29 मार्च (भाषा) उत्तर प्रदेश में वर्ष 2018 से न्यायिक हिरासत में कम से कम चार करीबी सहयोगियों की हत्या से माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी को मौत का डर सताने लगा था।

मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने जेल में अपने पिता की ‘हत्या’ की आशंका जताते हुए उच्‍चतम न्यायालय में एक रिट याचिका भी दायर की थी।

बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की बृहस्पतिवार को दिल का दौरा पड़ने से वहां के एक मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान मृत्यु हो गई थी।

साल 2017 में उप्र में भाजपा की सरकार के सत्ता में आने के बाद मुख्तार अंसारी के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू हो गया। अंसारी के खिलाफ 60 से अधिक मामले दर्ज थे।

उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के एक साल बाद मऊ से पांच बार विधायक रहे अंसारी को सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के आरोपी प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई।

झांसी जेल से बागपत जेल लाए जाने के एक दिन बाद बजरंगी की नौ जुलाई, 2018 को एक अन्य गैंगस्टर सुनील राठी ने जेल में ही हत्या कर दी थी।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, सनसनीखेज हत्या के बाद मुख्तार अंसारी घबरा गया और उसके वकील उसे उत्तर प्रदेश से बाहर की जेल में स्थानांतरित करवाने का प्रयास करने लगे। जनवरी 2019 में उसे जबरन वसूली के एक मामले में पंजाब में पेश किया गया, जहां से उसको रोपड़ जेल ले जाया गया था।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अंसारी को वापस भेजने के लिए कम से कम 23 अनुस्मारक (रिमाइंडर) पंजाब सरकार को दिये गये। बार-बार प्रयासों के बावजूद मुख्तार लगभग दो वर्षों तक रोपड़ जेल में रहा।

अधिकारियों के अनुसार, ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार उसकी चिकित्सीय स्थिति का हवाला देकर रोपड़ जेल से उसके स्थानांतरण को टालती रही।

उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद अप्रैल 2021 में अंसारी को अंततः उत्तर प्रदेश वापस लाया गया और बांदा जेल भेज दिया गया।

अंसारी के वापस लौटने के कुछ ही हफ्ते बाद उसके दो सहयोगियों मेराजुद्दीन और मुकीम काला की चित्रकूट जेल के अंदर एक अन्य गैंगस्टर ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। दोनों की हत्या करने वाले गैंगस्टर अंशु दीक्षित को भी पुलिस ने मार गिराया था।

पिछले साल जून में मुख्तार अंसारी के एक अन्य सहयोगी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की एक हमलावर ने लखनऊ में अदालत परिसर के अंदर दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी।

संजीव माहेश्वरी के खिलाफ भाजपा विधायक ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या सहित 26 मामले दर्ज थे। विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में मुन्ना बजरंगी और संजीव भी मुख्तार अंसारी के साथ सह-आरोपी थे।

पिछले साल दिसंबर में उमर अंसारी द्वारा उच्चतम न्यायालय में दायर की गई रिट याचिका में जीवा और मुन्ना बजरंगी की हत्याओं का भी जिक्र किया गया था। यह आशंका जताते हुए कि राज्य सरकार बांदा जेल में उनके पिता की ‘हत्या’ करने की योजना बना रही है, उमर अंसारी ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश के बाहर किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करने की अपील की थी।

रिट याचिका के जवाब में उप्र सरकार ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि ‘आवश्यकतानुसार सुरक्षा में आवश्यक वृद्धि की जाएगी’, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हिरासत में रहने के दौरान मुख्तार अंसारी को कोई नुकसान न हो।

जब उसके सहयोगी मारे जा रहे थे, तो राज्य सरकार ने मुख्तार पर दबाव बनाए रखा। पुलिस मुख्यालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पुलिस ने अंसारी से जुड़े 292 लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की। दिसंबर 2023 तक इनमें से कई सहयोगियों पर गिरोहबंद अधिनियम (गैंगस्टर एक्ट) के तहत मामला दर्ज किया गया, जबकि 186 को गिरफ्तार किया गया।

अधिकारियों के अनुसार, सरकार ने राज्य भर में मुख्तार अंसारी या उसके सहयोगियों से जुड़ी करोड़ों की संपत्तियों को भी जब्त कर लिया और उसके आपराधिक साम्राज्य का समर्थन करने वालों की अवैध कमाई को भी जब्त कर उसके आर्थिक नेटवर्क को भी ध्वस्त कर दिया।

भाषा चंदन आनन्द दिलीप

दिलीप