प्रधानमंत्री से मिली तारीफ दास्तानगोई को लोकप्रिय बनाने में मददगार साबित होगी : हिमांशु

प्रधानमंत्री से मिली तारीफ दास्तानगोई को लोकप्रिय बनाने में मददगार साबित होगी : हिमांशु

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  • Publish Date - November 29, 2021 / 04:54 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:11 PM IST

लखनऊ, 29 नवंबर (भाषा) कहानीकार (दास्तानगो) हिमांशु बाजपेयी ने सोमवार को यहां कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से तारीफ से दास्तानगोई की कला को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ में लखनऊ की कला ‘दास्तानगोई’ का जिक्र किया और रानी दुर्गावती पर आधारित एक दास्तान का जिक्र करते हुए लखनऊ की रवायतों की तारीफ की।

रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के प्रसारण के कुछ ही देर बाद रक्षा मंत्री और लखनऊ से सांसद राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, ”आज प्रधानमंत्री ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कटनी में आयोजित रानी दुर्गावती की दास्तानगोई का जिक्र किया। यह प्रस्तुति लखनऊ के रहने वाले हिमांशु वाजपेयी और प्रज्ञा शर्मा ने की है। उन्होंने इसी तरह की एक दास्तानगोई रानी लक्ष्मीबाई के बारे में भी की है।”

रक्षा मंत्री ने अपने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ”लखनऊ में पले-बढ़े और रचे-बसे हिमांशु वाजपेयी एवं प्रज्ञा शर्मा की प्रस्तुति की चर्चा अपने कार्यक्रम में करने के लिए प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं। साथ ही हिमांशु एवं प्रज्ञा को मैं अपनी हार्दिक शुभकामनाएं भी प्रेषित करता हूं।”

काव्य जगत में ‘लखनौवा’ के नाम से मशहूर हिमांशु वाजपेयी ने कहा, ”प्रधानमंत्री मोदी ने हमारे दास्तान का जिक्र किया और रक्षा मंत्री सिंह ने भी हमारे बारे में ट्वीट किया, हमें पूरा विश्वास है कि दास्तानगोई की कला अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचेगी।”

वाजपेयी ने कहा कि उन्हें और शर्मा को उम्मीद है कि मध्यकालीन युग में विशेष रूप से उर्दू में लोकप्रिय दास्तानगोई को देश में राजनीति के उच्चतम स्तर से स्वीकृति मिलने के बाद और अधिक लोगों की सराहना मिलेगी। 34 वर्षीय वाजपेयी ने बताया कि मध्यकालीन युग में उत्तर भारत में लखनऊ सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक था, जहां दास्तानगोई फलता-फूलता था। उन्होंने कहा कि लखनऊ ने मोहम्मद हुसैन, अहमद हुसैन कमर, अंबा प्रसाद और तसद्दुक हुसैन जैसे दास्तानगो दिए हैं जिन्हें दुनिया भर के कला पारखी जानते थे।

भाषा आनन्द अर्पणा

अर्पणा