रालोद के भाजपा में शामिल होने से चुनाव पर कोई असर नहीं होगा: ‘इंडिया’ गठबंधन उम्मीदवार हरेंद्र मलिक

रालोद के भाजपा में शामिल होने से चुनाव पर कोई असर नहीं होगा: ‘इंडिया’ गठबंधन उम्मीदवार हरेंद्र मलिक

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  • Publish Date - April 16, 2024 / 07:50 PM IST,
    Updated On - April 16, 2024 / 07:50 PM IST

(किशोर द्विवेदी)

मुजफ्फरनगर (उप्र), 16 अप्रैल (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता और मुजफ्फरनगर से ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हरेंद्र मलिक ने कहा कि राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करने से इस सीट में चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

इस सीट पर मलिक के सामने भाजपा उम्मीदवार संजीव बालियान की चुनौती होगी और ये दोनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभावशाली जाट समुदाय से संबंध रखते हैं। बालियान ने 2014 और 2019 में मुजफ्फरनगर से चुनाव जीता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री बने।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रालोद ‘इंडिया’ गठबंधन से अलग होकर राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा बन गया और अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के समर्थन में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। रालोद के इस कदम ने क्षेत्र के कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। बालियान ने 2019 के चुनावों में रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के पिता और पूर्व रालोद प्रमुख अजीत सिंह को लगभग 5,000 मतों के करीबी अंतर से पराजित किया था।

रालोद के भाजपा से गठबंधन के कारण पड़ सकने वाले असर के बारे में पूछे जाने पर मलिक ने कहा कि रालोद जो चाहे कर सकता है क्योंकि मुजफ्फरनगर में उसके पास कोई उम्मीदवार नहीं है।

सपा उम्मीदवार ने यहां अपने आवास पर ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘तो वह (रालोद) यहां कोई कारक नहीं है…भाजपा को इससे (रालोद के समर्थन से) कोई फायदा नहीं मिलेगा।’’

मलिक ने 2019 के चुनावों के दौरान मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा दर्ज की गई ‘‘राजनीतिक प्राथमिकियों’’ को याद किया, जिसमें एक प्राथमिकी जयंत चौधरी की पत्नी चारू चौधरी के काफिले पर हमले से संबंधित थी।

उन्होंने कहा कि काफिले की सुरक्षा करने वाले ग्रामीणों पर पुलिस ने मामला दर्ज किया और आज तक मामले वापस नहीं लिए गए हैं, जिससे समुदाय में भाजपा के खिलाफ गुस्सा है।

मलिक ने कहा, ‘‘जयंत चौधरी जिसके साथ चाहे, उसके साथ गठबंधन कर सकते हैं। अब फारूक अब्दुल्ला भी भाजपा की प्रशंसा कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि चौधरी चरण सिंह के समर्थक हमारे साथ हैं।’

चुनाव में किसान समूहों के प्रभाव पर उन्होंने कहा कि किसान संगठन अराजनीतिक हैं, लेकिन उनका प्रभाव है जिसे नकारा नहीं जा सकता।

मलिक ने कहा, ‘अगर वे (किसान संगठन) किसी के पक्ष में बोलते हैं, तो इसका चुनाव नतीजों पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा।’

मलिक ने कहा, ‘बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार के बारे में हर कोई जानता है और यहां भ्रष्टाचार उनके (बालियान के) संरक्षण में किया जाता है। युवाओं के बीच रोजगार यहां एक बड़ा मुद्दा है। युवा बेरोजगार और चिंतित हैं।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘सभी वर्गों को उनसे उम्मीद थीं, लेकिन (सरकार) उम्मीदों पर खरा नहीं उतरी और इस सब के कारण लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।’’

मुजफ्फरनगर के सांसद के रूप में बालियान के दो कार्यकालों के दौरान किए गए कार्यों पर टिप्पणी करते हुए मलिक ने कहा कि भाजपा नेता कह सकते हैं कि उन्हें यहां एक मॉडल रेलवे स्टेशन मिला है, लेकिन उन्हें यह भी बताना चाहिए कि इसे कब मंजूरी दी गई और डबल (रेल) ट्रैक या मार्ग के विद्युतीकरण को कब मंजूरी दी गई।

सपा उम्मीदवार ने कहा ‘‘यहां एक ‘एकीकृत माल गलियारा’ बनाया गया है लेकिन इस क्षेत्र में एक औद्योगिक गलियारा प्रस्तावित था जो उनकी लापरवाही के कारण यह नहीं बन सका। अन्यथा, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर के बीच एक औद्योगिक गलियारा बनाया जाता, जो पहले मेरठ और के बीच बनाया जाना था।’ मलिक ने कहा, ”अगर गलियारा बन जाता तो स्थानीय युवाओं को रोजगार एवं काम में मदद मिलती।”

मलिक ने अपने प्रतिद्वंद्वी पर तंज कसते हुए कहा कि बालियान इसलिए कोई काम नहीं करा सके क्‍योंकि वह मूल रूप से राजनीतिक व्‍यक्ति नहीं हैं। सच यह है कि वह ‘‘दुर्घटनावश नेता’’ बने हैं।

मुजफ्फरनगर में पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा। यहां बहुजन समाज पार्टी ने दारा सिंह प्रजापति को उम्मीदवार बनाया है।

भाषा किशोर आनन्द संतोष सिम्मी

सिम्मी