मथुरा (उप्र), 14 नवम्बर (भाषा) बागेश्वर बाबा के नाम से मशहूर कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने शुक्रवार को कहा कि जिन्हें राम नाम से दिक्कत है, वे लाहौर की टिकट कटा लें और अगर टिकट के पैसे नहीं हैं तो ‘हमें बताएं, हम दोस्तों से कर्ज लेकर भी उनके लिए इंतजाम करा देंगे।’
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ब्रज में मांस-मदिरा की बिक्री पर रोक, गौहत्या पर प्रतिबंध, यमुना शुद्धीकरण, भारत हिन्दू राष्ट्र बने, श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण, जातिभेद समाप्ति एवं वृन्दावन के प्राचीन स्वरूप को बनाए रखने जैसी सात सूत्रीय मांगों को लेकर दिल्ली से वृन्दावन तक ‘सनातन एकता पदयात्रा’ कर रहे हैं और बृहस्पतिवार को मथुरा की सीमा में प्रवेश कर कोसीकलां में रात्रि विश्राम किया था।
वह शुक्रवार सुबह पड़ाव स्थल से आगे की यात्रा प्रारंभ करने से पूर्व पदयात्रियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘जिन्हें वंदे मातरम बोलने से दिक्कत हो, राम नाम से दिक्कत हो, पदयात्रा से दिक्कत हो, वे लाहौर की टिकट जल्दी कटवा लें। अगर पैसा न हो, तो भले ही दूसरों से कर्जा लेना पड़े, हम उनके टिकट का इंतजाम जरूर करवा देंगे।’’
उन्होंने स्पष्ट किया, ‘‘हम मुसलमानों के विरोधी नहीं हैं। हम उनके विरोधी हैं जो राम और राष्ट्र का नहीं हो सकता। हम उनके विरोधी हैं जो खाते भारत का हैं और गुणगान उन लोगों (यहां उनका आशय पाकिस्तान से था) का करते हैं।”
धीरेंद्र शास्त्री ने इससे पहले सभी से जातिभेद त्याग कर एकजुट होने की शपथ दिलाई और वंदे मातरम का पाठ किया गया, तब पदयात्रा रवाना हुई और छाता के समीप पहुंच गई। अब शनिवार सुबह यात्रा पुन: प्रारंभ होकर ठा. राधा गोविंद मंदिर के निकट पहुंचकर पड़ाव करेगी।
पदयात्रा में कुछ ऐसे भी यात्री शामिल हैं जो अपनी वेशभूषा, श्रृंगार, व्यवहार आदि से लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। उनमें से ऐसे ही एक पदयात्री मध्यप्रदेश के दमोह जिले के गांव बटियागढ़ निवासी 45 वर्षीय बद्री विश्वकर्मा हैं जो अपने बालों की चोटी से पदयात्रा का भारी रथ दिल्ली से ही खींचते आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि इससे पूर्व वह इसी प्रकार, अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना के अवसर पर अपने गांव से रथ खींचते हुए अयोध्या पहुंचे थे।
भाषा सं आनन्द राजकुमार
राजकुमार