लखनऊ, 13 नवंबर (भाषा) संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जेलों में बंद कैदियों की स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं में सुधार की खासी गुंजाइश बताते हुए बुधवार को कहा कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक जिम्मेदारी दोनों से ही जुड़ा मामला है।
यूएनओडीसी के क्षेत्रीय प्रतिनिधि मार्को टेक्सिएरा ने अपने संस्थान, इंडिया विजन फाउंडेशन और उत्तर प्रदेश कारागार विभाग की संयुक्त पहल से ‘जेल में स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने’ के लिए एक परामर्श कार्यक्रम में कहा, ”जेल स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत भलाई का मामला नहीं हैं, यह सार्वजनिक स्वास्थ्य से गहराई से जुड़ा हुआ है।”
उन्होंने कहा, ”कई कैदी सजा पूरी होने के बाद अपने समुदायों में लौटते हैं। अगर जेल में उन्हें उचित स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलती, तो वे संक्रामक रोग फैलाने, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने और नशे की लत का शिकार बने रहने के जोखिम में होते हैं। इससे व्यापक स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रभावित होती है। इसलिए, जेलों में स्वास्थ्य सेवा में सुधार सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक जिम्मेदारी दोनों का मामला है।”
टेक्सिएरा ने कहा, ”इसी भावना के साथ यूएनओडीसी ने नेल्सन मंडेला नियमों पर आधारित पहला ई-लर्निंग कोर्स तैयार किया है और एक प्रशिक्षण प्रशिक्षक कार्यक्रम (टीओटी) आयोजित किया है, जो ई-लर्निंग टूल पर आधारित है और राष्ट्रीय भाषाओं में उपलब्ध है।”
एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र के संयुक्त कार्यक्रम (यूएनएड्स) इंडिया के कंट्री डायरेक्टर डेविड ब्रिजर ने कहा, ”जेलों में एचआईवी की प्रभावी रोकथाम और उपचार के लिए हमें ऐसा सुरक्षित वातावरण बनाना होगा, जहां लोगों को एचआईवी जांच कराने, उपचार से जुड़ने और एचआईवी रोकथाम के प्रभावी तरीकों के बारे में शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन और समर्थन मिले।”
उन्होंने कहा, ”जेलें एचआईवी के प्रति प्रतिक्रिया में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, क्योंकि यहां एक सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जा सकता है जहां लोग एचआईवी जांच और उपचार से जुड़ सकेंगे।”
इंडिया विजन फाउंडेशन की संस्थापक और पुडुचेरी की पूर्व उप राज्यपाल किरण बेदी ने कहा, ‘इस मंच का उद्देश्य सिर्फ स्वास्थ्य पर ध्यान देना नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कैदियों के समग्र कल्याण को सुनिश्चित करना है।”
कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान ने परामर्श कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए बताया कि सरकार द्वारा जेलों में कैदियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं।
प्रदेश जेल प्रशासन एवं सुधार सेवाओं के पुलिस महानिदेशक एवं जेल महानिरीक्षक श्री पी.वी. रामा शास्त्री ने कहा, ”कारागार विभाग ने विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं के सहयोग के साथ जेल रेडियो जैसी कई पहलें शुरू की हैं जो कैदियों को रचनात्मक एवं सकारात्मक वातावरण प्रदान करता है। डिजिटल लाइब्रेरी के माध्यम से कैदियों को शैक्षिक सामग्री व प्रेरणादायक पुस्तकें उपलब्ध करायी जा रही हैं।”
इस दो दिवसीय परामर्श कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की जेलों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए नीतिगत दिशा-निर्देशों और समाधानों पर चर्चा करना था।
भाषा सलीम रवि कांत अमित
अमित
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