लखनऊ, 14 अगस्त (भाषा) उत्तर प्रदेश के लखनऊ में साइबर ठगों ने संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में एक न्यूरोलॉजिस्ट से धोखाधड़ी करते हुए 2.80 करोड़ रुपये ठग लिये। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के मुताबिक, ठगों ने खुद को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का अधिकारी बताकर चिकित्सक को छह दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा।
पुलिस सूत्रों ने बुधवार को बताया कि पुलिस ने वरिष्ठ चिकित्सक रुचिका टंडन के साथ हुई धोखाधड़ी के मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
‘डिजिटल हाउस अरेस्ट’ एक ऐसी रणनीति है, जिसमें साइबर अपराधी पीड़ितों को ठगने के लिए उन्हें घरों में कैद कर लेते हैं। अपराधी अक्सर एआई-जनरेटेड वॉयस या वीडियो तकनीक का उपयोग करके कानून प्रवर्तन अधिकारी बनकर ऑडियो या वीडियो कॉल करके डर पैदा करते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, ठगों ने रुचिका को यह दावा करके डराया कि जेट विमानन कंपनी के मालिक से जुड़े धन शोधन मामले में उनका नाम सामने आया है।
ठगों ने उन्हें कई खातों में धन अंतरित करने के लिए मजबूर किया और ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी।
सूत्रों के मुताबिक, वीडियो कॉल करने वाले शख्स ने रुचिका से कहा कि उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ के तहत रखा जा सकता है, बशर्ते वह अपने परिवार को हालात के बारे में कुछ नहीं बताएंगी। इसकी आड़ में ठगों ने डॉक्टर को अपने नियंत्रण वाले कई बैंक खातों में बड़ी रकम जमा करने के लिए राजी कर लिया।
पुलिस उपायुक्त (लखनऊ मध्य) रवीना त्यागी ने बताया कि डॉक्टर को धोखेबाजों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा था और उन्हें इस घटना के बारे में किसी को न बताने के लिए मजबूर किया गया था।
त्यागी ने बताया, “एक मुकदमा दर्ज किया गया है और अपराधियों का पता लगाने और उन्हें पकड़ने के प्रयास जारी हैं।”
साइबर थाने के एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह के मामले तेजी से आम हो गए हैं। धोखेबाज अक्सर खुद को सीबीआई और मुंबई पुलिस सहित प्रतिष्ठित जांच एजेंसियों का अधिकारी बताकर धोखाधड़ी करते हैं।
पुलिस ने लोगों से आग्रह किया कि अगर उन्हें इस तरह के कॉल आते हैं तो वे तुरंत नजदीकी थाने से संपर्क करें।
भाषा जय सलीम जितेंद्र
जितेंद्र
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