हिंदू धर्म में शादी से जुड़ी कई अनोखी रस्में निभाई जाती है। हर रस्म की खास वजह होती है।

इन्हीं में से एक रस्म तब निभाई जाती है, जब नई नवेली दुल्हन की विदाई होती है।

नई नवेली दुल्हन विदाई के वक्त अपने पीछे चावल फेंकती हैं। चलिए जानते हैं कि इस रस्म का क्या धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है?

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

हिंदू धर्म में बेटियों का काफी सम्मान किया जाता है, उन्हें मां लक्ष्मी या अन्नपूर्ण का रूप भी माना जाता है।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

जब दुल्हन शादी के वक्त अपने मायके से विदा होती है, तो यह माना जाता है कि, वह अपने मायके के लिए सुख समृद्धि और धन वैभव की कामना कर रही है।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

चावल फेंकने की रस्म इसी शुभकामना का हिस्सा है, जिसका मतलब कभी भी घर में धन या अन्न की कमी न हो।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक चावल को धन, समृद्धि और शुभता से जोड़ा जाता है।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

इसी वजह से विदाई के समय चावल का उपयोग किया जाता है। इस रस्म को मायके को खराब नजर से बचाने और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाएं रखने के लिए भी की जाती है।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

यह रस्म इसलिए भी की जाती है, ताकि दुल्हन अपने परिवार वालों का धन्यवाद कर सकें। ये रस्म किसी भी दुल्हन के लिए खास माना जाता है।