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पूजा-पाठ या व्रत के दौरान लहसुन-प्याज क्यों नहीं खाते हैं?

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और व्रत के दौरान लहसुन और प्याज खाने की मनाही होती है। लेकिन इसके पीछे क्या कारण हैं?

पूजा और व्रत में सात्विक भोजन खाया जाता है, जो मन और शरीर को शुद्ध रखता है। लहसुन और प्याज को तामसिक माना जाता है, इसलिए इनसे परहेज किया जाता है।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

आयुर्वेद और शास्त्रों के अनुसार, लहसुन और प्याज तामसिक गुणों वाले होते हैं। ये मन में अशांति, आलस्य और नकारात्मकता बढ़ा सकते हैं।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

पूजा-पाठ और व्रत में शुद्धता सर्वोपरि है। लहसुन और प्याज की तीव्र गंध और स्वाद को अशुद्ध माना जाता है, इसलिए इन्हें वर्जित किया जाता है।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, लहसुन और प्याज राक्षसी प्रवृत्ति से जुड़े हैं। समुद्र मंथन के दौरान राक्षसों ने अमृत में इनका रस मिलाया, जिसके कारण ये वर्जित हो गए।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

लहसुन और प्याज में सल्फर यौगिक होते हैं, जो तीव्र गंध और उत्तेजक प्रभाव पैदा करते हैं। यह ध्यान और भक्ति को भंग कर सकता है, इसलिए व्रत में इनसे बचा जाता है।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

लहसुन और प्याज पाचन को उत्तेजित करते हैं, जो व्रत के दौरान हल्के और सात्विक भोजन के उद्देश्य के विपरीत है। यह मन को अशांत भी कर सकता है।