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देवेंद्र यादव रायपुर सेंट्रल जेल से करीब 7 महीने बाद रिहा हुए हैं। बलौदाबाजार हिंसा केस में बंद थे।

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देवेंद्र को सुको से उनके बर्थडे के दूसरे दिन 20 फरवरी को बेल मिली थी। वे 17 अगस्त 2024 से यानी 188 दिन जेल में बंद थे।

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यादव के साथ के भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश चतुर्वेदी समेत 112 लोगों को भी हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है।

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10 जून 2024 को बलौदाबाजार में सतनामी समाज ने जैतखाम तोड़े जाने का विरोध करते हुए कलेक्टर और एसपी ऑफिस जला दिया था।

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इस मामले में भीड़ को भड़काने, आंदोलनकारियों का साथ देने का आरोप लगाकर कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव पर केस दर्ज किया गया था।

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बताया गया कि, बलौदाबाजार हिंसा घटना वाले दिन देवेंद्र यादव सिर्फ सभा में शामिल हुए, लेकिन वो मंच पर नहीं गए।

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उन्होंने मंच से कोई भाषण नहीं दिया। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने भीड़ को उकसाया होगा।

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कार्यक्रम में शामिल होने और वापस लौट जाने का समय हिंसक घटना के समय से बिल्कुल अलग है। जहां घटना हुई, वहां यादव मौजूद नहीं थे।

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उनकी गिरफ्तारी भिलाई के उनके घर से हुई जो की घटनास्थल से कई किलोमीटर दूर है। पुलिस की कार्रवाई गलत और राजनीति से प्रेरित है।

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मुख्यमंत्री ने इस मामले में कहा 'कानूनी बात है कोई गिरफ्तार होता है, किसी का बेल भी होता है। सब न्यायिक प्रक्रिया के तहत हुआ है।

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