बॉलीवुड फिल्मों और टीवी सीरियल में आपने कई बार सपेरे को जरूर देखा होगा, जो बीन बजाता है

वहीं असल जिंदगी में भी लोग सांप को बाहर निकालने के लिए कई बार सपेरे को बुला लेते हैं

यानी ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि सपेरे की बीन से सांप को कंट्रोल किया जा सकता है

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

आपने भले ही कई फिल्मों में बीन की धुन पर सांपों को थिरकते हुए देखा होगा, लेकिन असल जीवन में ऐसा कुछ नहीं होता है।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

जैसे कहावत है कि भैंस के आगे बीन बजाने का कोई फायदा नहीं होता है, ठीक उसी तरह सांप के आगे बीन बजाने से भी कुछ नहीं होगा।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

बता दें कि सांप के कान नहीं होते हैं, ऐसे में उसके सुनने की क्षमता काफी सीमित होती है।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

वो अपनी स्किन से किसी भी चीज को महसूस करता है और फिर उसी तरह से वर रिएक्ट करता है।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

किसी भी छोटी आहट से जो तरंगें पैदा होती हैं, वो सांप को उसकी स्किन के जरिए पता चलती है और फिर वो भागने लगता है।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

कई शोधों में यह बात साफ हो चुकी है कि सांप किसी भी तरह की आवाज की तरफ आकर्षित नहीं होते हैं। खासकर बीन की आवाज से तो बिल्कुल हीं।

हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।

जब भी कोई सपेरा बीन बजाता है तो वो इस दौरान बीन को गोल गोल घुमाता रहता है, इस मूवमेंट को देखकर कई बार सांप डरकर रिएक्ट करते हैं और अपना सिर भी हिलाते हैं।