खैरकट्टा जलाशय से मात्र एक किलोमीटर दूर पर बसे गांव में पानी के लिए हाहाकर मचा हुआ है।

बोगनभोड़िया नामक गांव के आश्रित नया पारा में 15 परिवार पिछले 12-15 सालों से यही रहते हैं। ऐसे में यहां पानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।

यहां के ग्रामीण कुएं नुमा झरिया का गंदा पानी पीने को मजबूर है, क्योंकि पेयजल का दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है।

ग्रामीणों को पता है कि गंदा पानी पीने से स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से जूझना पड़ सकता है। बावजूद पेयजल का विकल्प नही होने के चलते गड्ढे से पानी पीना मजबूरी है।

गांव ने वर्षो पूर्व एक हैण्डपम्प जरूर खोदवाया था परन्तु हैण्डपम्प वर्षों से खराब पड़ा है। ऐसे में विभागीय निष्क्रियता के चलते ग्रामीण बून्द बून्द के लिए तरस रहे है।

रोजाना ग्रामीण लगभग आधा किलोमीटर दूर तक पैदल चलते है और पेयजल कि लिए पानी इकठ्ठा करते है। 

गर्भवती महिला तथा छोटे-छोटे नन्हे बच्चे इसी गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। गांव में नल जरूर है पर पिछले 6 महीने से खराब होकर पड़ा है।

सरपंच सचिव जो गांव के विकास के लिए होते है उनके द्वारा भी नल को दुरुस्त करने में कोई प्रयास नहीं किया गया।