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Ganesh Chaturthi 2025

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भगवान गणेश जिन्हें विघ्नहर्ता, बुद्धि और समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है हर शुभ कार्य की शुरुआत में सर्वप्रथम स्मरण किए जाते हैं।

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उनकी प्रतिमाओं में दिखने वाली एक विशेषता अक्सर लोगों के बीच चर्चा का विषय बनती है और वह है उनकी सूंड की दिशा। 

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कुछ मूर्तियों में सूंड बाईं ओर मुड़ी होती है जबकि कुछ में दाईं ओर। इसके पीछे गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व छिपा है।

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परंपरा के अनुसार घर में गणेश जी की ऐसी प्रतिमा को रखना शुभ माना जाता है जिसमें उनकी सूंड बाईं ओर मुड़ी हो।

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 इस दिशा को चंद्र स्वर के रूप में भी जाना जाता है, जो शीतलता, सौम्यता और भावनात्मक संतुलन का प्रतीक है।

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बाईं सूंड वाले गणपति को शांत, सौम्य और सौभाग्य प्रदान करने वाला माना जाता है। ऐसी प्रतिमा की पूजा से घर में शांति, प्रेम, सामंजस्य और समृद्धि बनी रहती है।

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इसलिए  इस स्वरूप को वाममुखी गणेश भी कहा जाता है जो गृहस्थ जीवन के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है।

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दूसरी ओर दाईं ओर मुड़ी सूंड वाले गणपति को अधिक जाग्रत, ऊर्जावान और शक्तिशाली माना गया है। 

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दाईं ओर की सूंड वाले गणपति को दक्षिणमुखी गणेश कहा जाता है और इनकी पूजा विशेष विधान और सावधानी के साथ करनी होती है।

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आध्यात्मिक और पारंपरिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो घर के लिए बाईं सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा को अधिक उपयुक्त माना गया है।

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