Mahakumbh Mela 2025: महाकुंभ में गुरु दक्षिणा की अनोखी परंपरा, साधु-संत क्यों करते हैं अपने अखाड़े की पुकार? जानिए
(image credit: Mahakumbh_2025 X)
महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में किया जा रहा है। कुंभ मेले को दुनिया भर में सबसे बड़े धार्मिक मेले के रूप में जाना जाता है।
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इस मेले में भारत के अलावा दुनिया भर के श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं, साथ ही अन्य धर्मों के अनुयायी भी इस मेले में हिस्सा लेने के लिए पहुंचते हैं।
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महाकुंभ मेले के दौरान त्रिवेणी संगम में स्नान की परंपरा बहुत ही पुरानी है। कुंभ मेले में अमृत स्नान करने के बाद अखाड़ों में पुकार परंपरा पूरी की जाती है।
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यह पुकार अखाड़ों के साधु-संतों द्वारा की जाती है, जो अपने अखाड़े की पहचान और सम्मान का प्रतीक होता है।
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अमृत स्नान के बाद, अखाड़ों के साधु-संत अपने अखाड़े की पुकार करते हैं, जो एक तरह का सामूहिक आह्वान होता है और यह अखाड़े की एकता को दर्शाता है।
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महाकुंभ के दौरान अखाड़े जब शाही स्नान करके शिविर में लौटते हैं तो सबसे पहले सभी साधु-संतों की तरफ से दशनामी गुरुओं के नाम पर दक्षिणा देते हैं।
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इस भेंट स्वरूप में दी जाने वाली रकम में लाखों रुपये लेकर 50 रुपये तक शामिल होता है। यह अखाड़े के कोष में जमा किया जाता है।
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अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे ईष्टदेव की मूर्ति जहां पर स्थापित की जाती है, उसी स्थान पर बैठकर अखाड़े के महंत या प्रमुख पदाधिकारी पुकार की परंपरा को पूरा करते है। सभी अखाड़े इस परंपरा को निभाते हैं।
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