18 अक्टूबर 1950 को पंजाब के पटियाल शहर में जन्में ओम पुरी का पूरा नाम ओम राजेश पुरी था। सिनेमा हो या फिर रंगमंच ओमपुरी ने दर्शक का बखूबी मनोरंजन किया हैं। 

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ओम कपूर के फिल्मी करियर की कहनी भी रोचक रही हैं। इनके पिता इंडियन आर्मी में काम करते थे बाद में वे रेलवे में आ गए थे। घर में फौजी माहोल के कारण फिल्मों में आने से पहले ये फौज का हिस्सा बनना चाहते थे। 

ओम अपने कॉलेज के दिनों में ड्रामा कांप्टीशन में हिस्सा लेते थे। जिसके चलते एक मशहूर रंगकर्मी हरपाल तिवाना कि नजर में आए। जिसके बाद उनके ऑफर ने कहानी ही बदल दी। 

ओम पुरी की कलाकारी ने जितना भारतीय सिनेमा को निखारा, उतना ही उनके व्यक्तित्व को भी। दरशल ओम बचपन से बहोत शर्मीले थे। लेकिन अभिनय के दौरान इन्होने खुद को निखार कर चमका दिया । 

ओम पुरी उन दुर्लभ कलाकारों में से एक हैं। जिन्होने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय(NSD) के साथ साथ भारतीय फिल्म टेलिवजन संस्थान(FTII) से भी शिक्षा दीक्षा प्राप्त की है। 

ओम पुरी को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में अंग्रेजी को लेकर काफी समस्या होती थी।  दरसल होता यूं कि इनके लेक्चरार इब्राहम अलकाज़ी सारे लेक्चर अंग्रेजी में पढ़ाया करते थे। जो इनके सर के ऊपर से गुजरता था। 

लेकिन बाद में उन्ही के मोटिवेशन की वजह से इन्होने अंग्रेजी सीख ली थी।  ओम को हर तरह से फिल्म निर्माताओं ने खूब पसंद किया, चाहे वे पैरलल सिनेमा के हों या फिर

ओम पुरी ने कई विदेशी फिल्मों मे काम किया हैं। जिनमें अ हंड्रेड जर्नी प्रमुख हैं। ओम पुरी को 5 से अधिक बार बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला हैं। जिसके बाद इन्हे लाइफ टाइम अचीवमेंट का अवार्ड दिया गया । 

बेहतरीन अदाकारी और मनोरंजन के लिए ओम पुरी का नाम भारतीय सिनेमा में बड़े गर्व से लिए जाएगा।