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गणेश जी के इस 1 मंत्र का करें जाप, सब रोग-कष्ट होंगे दूर
गणेश चतुर्थी का पर्व चल रहा है। यह उत्सव पूरे 10 दिन तक यानी गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के त्योहार को गणपति बप्पा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
इस खास अवसर पर भक्त अपने-अपने घरों में गणपति प्रतिमा की स्थापना और पूजा करते हैं।
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
गणेश जी की पूजा में कुछ विशेष मंत्रों का भी जाप किया जाता है।
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
लेकिन आज हम आपको गणेश जी के उस मंत्र के बारे में बताएंगे, जिनके जाप से रोग कष्ट दूर होते हैं।
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् । उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
इस मंत्र का अर्थ है 'गजमुख वाले देवता, जिनकी भूत व अन्य गण भी सेवा करते हैं। जो कपित्थ कैंथ (कत्था) फल और जामुन का सेवन बहुत ही रुचि से करते हैं।
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
देवी पार्वती (उमा) के पुत्र कहलाते हैं और शोक का निवारण करते हैं। ऐसे विघ्नेश्वर (श्रीगणेश) के चरण कमल में मेरा नमन है। मैं उनकी वंदना करता हूं।
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
गणेश जी की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के सभी तरह के रोग नष्ट हो जाते है।
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