गर्मी की बढ़ती तपिश के साथ साथ आगर मालवा जिले के कई ग्रामों जलसंकट की आहट भी सुनाई देने लगी है।

वर्षों से जलसंकट की मार झेल रहे जिले के ग्राम पायरी में इस वर्ष भी हालात ऐसे बने है कि पेयजल के लिए ग्रामीणों को उबड़ खाबड़ पगडंडियों पर दो से तीन किलोमीटर दूर तक का रोज सफर तय करना पड़ रहा है।

घुम्मक्कड़ जाती के सैकड़ों की जनसंख्या वाले इस ग्राम में वैसे तो वर्ष भर ही पानी की किल्लत रहती है, लेकिन गर्मी में हालात और बिगड़ जाते हैं।

वर्षो से जलसंकट की मार झेल रहे इस ग्राम में बीते वर्ष आनन फानन में प्रशाषन द्वारा कुवे से पाइप लाइन तो ग्राम तक डाल दी, लेकिन जल मोटर तक विधुत लाइन नहीं डाली, जिससे की अब तक पानी की एक बूंद भी ग्राम तक नहीं पहुंची।

पीने के पानी के लिए बच्चो की मजबुरी ऐसी की स्कूल जाना छोड़कर, सर पर पानी के बर्तन लेकर 2 से 3 किलोमीटर दूर कुएं तक अपने परिजनों के साथ भटकना पड़ रहा है।

जलसंकट की इस मार से बुजुर्ग भी अछूते नहीं है। उम्र के ऐसे पड़ाव जहाँ घर पर आराम करने की जरूरत है तब भी पीने के पानी के लिए कई कई किलोमीटर चलना पड़ रहा है।

कई बार पहाड़ी क्षेत्र की उबड़ खाबड़ पथरीली पगडंडियों पर चलने के दौरान महिलाएं गिरने से घायल भी हो जाती है लेकिन दो बूंद की जद्दोजहद में सारा दर्द भूलकर परिवार के लिए सारा जुटी रहती हैं।

घर घर पेयजल के दावों की पोल खोलती यह तस्वीरें सारी हकीकत बयां कर रही है। जलसंकट झेल रहे ग्रामवासियों की नाराजगी जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के प्रति दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

इन ग्रामवासियों के अनुसार केवल वोट लेते समय जनप्रतिनिधि गाँव आते है और सारे वादे करके जाते है लेकिन चुनाव के बाद न अधिकारी आते है और न ही नेता। 

जलसंकट से हालात ऐसे बन रहे है कि कोई अपनी लड़की इस ग्राम में ब्याहना नहीं चाहता। लोग बाइक पर पानी की केन भरकर ले जाते हैं, लेकिन पेट्रोल के बढ़ते भावों से रोज रोज पानी लाने, ले जाने में ग्रामीणों के घर का बजट बिगड़ रहा है।

हर वर्ष इस तरह कि परेशानीयां सामने आने के बावजुद जिम्‍मेदार ग्रामीणों की परेशानियों से अनभिज्ञ है। जवाबदारों के गैरजिम्‍मेदारानां रूख से अब तक इस तरफ कोई योजना बन पाई हैा यह हालात सरकार और प्रशासन के दावो की पोल खोलते हैं।