संत प्रेमानंद महाराज, जिन्हें 'पीले बाबा' के नाम से भी जाना जाता है, हमेशा पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं। इसके पीछे धार्मिक, आध्यात्मिक और व्यक्तिगत कारण हैं। आइए इसते पीछे के कारण का जानते हैं।
प्रेमानंद महाराज राधावल्लभ संप्रदाय से जुड़े हैं, जो राधा रानी की भक्ति को केंद्र में रखता है। इस संप्रदाय के अनुयायी राधा रानी को प्रसन्न करने के लिए पीले वस्त्र धारण करते हैं, क्योंकि यह रंग उन्हें अत्यंत प्रिय है।
पीला रंग राधा रानी के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। प्रेमानंद महाराज स्वयं को राधा रानी की दासी मानते हैं और उनके प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त करने के लिए पीले वस्त्र पहनते हैं।
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
हिंदू शास्त्रों में पीले रंग को सकारात्मक ऊर्जा और सात्विकता का प्रतीक माना जाता है। यह रंग मन को शांत करता है और एकाग्रता बढ़ाता है, जो भक्ति मार्ग पर चलने वाले साधकों के लिए महत्वपूर्ण है।
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
ज्योतिष शास्त्र में पीला रंग गुरु ग्रह बृहस्पति से संबंधित है, जो ज्ञान, सौभाग्य और मान-सम्मान का कारक है। पीले वस्त्र धारण करने से गुरु की कृपा प्राप्त होती है और आध्यात्मिक उन्नति में सहायता मिलती है।
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
प्रेमानंद महाराज का जीवन सादगी और तपस्या से परिपूर्ण है। वे कहते हैं कि जितने से काम चल जाए, उतने से ही संतोष करना चाहिए। इसलिए पीले वस्त्र उनकी सादगी और तप का प्रतीक हैं।
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति अपने रिश्तों में संयम और सम्मान बनाए रख सकता है। यह एक स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली को बढ़ावा देता है।