शादियों में दुल्हे के सिर पर क्यों बांधा जाता है सेहरा
हिंदू धर्म की शादियों में अलग-अलग रस्में निभाई जाती है। शादी में दुल्हन का चेहरा घूंघट से ढक दिया जाता है।
दूल्हे की सेहराबंदी की रस्म की जाती है। यह परंपरा सदियों से निभाई जा रही है। शादी के लिए तैयार करते समय दूल्हे को सेहरा बांधा जाता है।
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
सेहरा आमतौर पर फूल, मोती, कुंदन, चमकीली व रेशमी धागे या कई बार तो सोने-चांदी की कलाकारी से बनता है। पगड़ी या सेहरे से दूल्हे का चेहरा ढका जाता है।
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
सेहरे को आम बोलचाल की भाषा में मुकुट, विवाह मुकुट, किरीट और मउर भी कहा जाता है।
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
इस रस्म के पीछे मान्यता ये है कि दूल्हे का चेहरा विवाह तक किसी को नहीं दिखना चाहिए ताकि उन पर किसी नकारात्मक ऊर्जा या बुरी नजर न पड़े।
हमारी अवाज महज ध्वनि नहीं, हमारे आत्मा की अभिव्यक्ति है।
कुछ जगहों पर ये भी माना जाता है विवाह की रस्में पूरी होने तक दूल्हे और दुल्हन को एक-दूसरे का चेहरा देखना अपशकुन होता है।
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