इस्लामाबाद, पांच अक्टूबर (भाषा) पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने देश को आश्वस्त किया है कि सशस्त्र बलों ने खुद को राजनीति से दूर कर लिया है और वे आगे भी यह जारी रखना चाहते हैं। मीडिया में बुधवार को प्रकाशित एक खबर में यह जानकारी दी गई है।
डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, जनरल बाजवा ने भी तीन साल का अपना दूसरा कार्यकाल नवंबर में पूरा करने के बाद पद छोड़ने का अपना वादा दोहराया और कहा कि वह पहले किए गए अपने वादे को पूरा करेंगे। बाजवा फिलहाल अमेरिका में हैं।
सेनाध्यक्ष (सीओएएस) 61 वर्षीय जनरल बाजवा 29 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे। बाजवा को 2019 में दूसरे कार्यकाल के लिए तीन साल का सेवा विस्तार दिया गया था।
उन्होंने वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास में आयोजित दोपहर के भोजन पर यह टिप्पणी की।
समाचार पत्र ने इस अवसर पर मौजूद सूत्रों के हवाले से बताया कि बाजवा ने कहा कि सशस्त्र बलों ने खुद को राजनीति से दूर कर लिया है और वे आगे भी ऐसे ही रहना चाहते हैं।
यह टिप्पणी पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा सैन्य-विरोधी बयान देने के मद्देनजर आई है।
बाजवा छह साल तक पाकिस्तानी सेना के शीर्ष पद पर रहे हैं। उन्हें शुरुआत में 2016 में नियुक्त किया गया था, लेकिन तीन साल के कार्यकाल के बाद, 2019 में इमरान खान की तत्कालीन सरकार ने उनकी सेवा को और तीन साल के लिए बढ़ा दिया।
सेना प्रमुख की नियुक्ति प्रधानमंत्री का एकमात्र विशेषाधिकार है। नये सेना प्रमुख की आगामी नियुक्ति विभिन्न कारणों से सुर्खियों में है।
जब खान सत्ता में थे, विपक्ष ने उन पर अपनी पसंद के एक सेना प्रमुख को लाने की कोशिश करने का आरोप लगाया था, जो विपक्षी नेताओं को प्रताड़ित करने के उनके (खान के) कथित एजेंडे पर अमल कर सके।
जब से उन्होंने सत्ता गंवाई है, समीकरण बदल गया है और अब खान कह रहे हैं कि गठबंधन सरकार लूटी गई संपत्ति की रक्षा और आम चुनावों में अपनी मनमानी करने के लिए अपनी पसंद का एक सेना प्रमुख बिठाना चाहती है।
बाजवा ने इस बात पर भी जोर दिया कि पाकिस्तान की दुर्बल अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना सभी की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि राष्ट्र एक मजबूत अर्थव्यवस्था के बिना अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम नहीं होगा।
कई पाकिस्तानी राजनयिकों एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करते हुए सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘मजबूत अर्थव्यवस्था के बिना कोई कूटनीति नहीं हो सकती है।’’
भाषा सुरेश मनीषा
मनीषा
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