कृत्रिम मेधा पर आधारित पत्रकारिता सरकारों की मदद कर सकती है |

कृत्रिम मेधा पर आधारित पत्रकारिता सरकारों की मदद कर सकती है

कृत्रिम मेधा पर आधारित पत्रकारिता सरकारों की मदद कर सकती है

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:36 PM IST, Published Date : September 28, 2022/7:10 pm IST

(राशिद महमूद, किंग अब्दुलाजीज विश्वविद्यालय)

जेद्दा, 28 सितंबर (360इंफो) कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस या एआई) पर आधारित एक सॉफ्टवेयर, जिसे जटिल सूचनाओं का विश्लेषण करने के लिए तैयार किया गया था, उन नीतिगत क्षेत्रों की पहचान करने में मददगार है, जिनकी सरकारों द्वारा अनदेखी की जाती है।

‘डीप लर्निंग’ (एक तरह की एआई प्रौद्योगिकी, जो इनसान के सूचनाएं ग्रहण करने के तरीके की नकल करती है), ‘बिग डेटा’ (तीव्र गति से अधिक मात्रा में लगातार आने वाला विविध डेटा) और अन्य नयी प्रौद्योगिकियां सरकारों के यह निर्धारित करने के तरीके को बदलने के लिए तैयार हैं कि नागरिकों के सर्वोत्तम हित में क्या है।

ये प्रौद्योगिकियां सरकारों को ऐसी जानकारियां उपलब्ध कराने में सक्षम हैं, जो उनके समझदारी से काम करने, नीतियों व पहलों को अधिक पारदर्शी बनाने और भ्रष्टाचार तथा सरकारी तंत्र की विफलता को रोकने के लिए अहम हैं।

कृत्रिम मेधा पर आधारित ‘डीप जर्नलिज्म’ आम रुचि वाले विषयों पर विभिन्न दृष्टिकोणों की पहचान करने में मददगार एक डेटा-संचालित पद्धति है। यह पद्धति ‘डीप जर्नल’ नाम के एक विशेष टूल का आधार थी, जो निर्दिष्ट दस्तावेजों का विश्लेषण करने और जटिल डेटा को समूहों (क्लस्टर) में सहेजने के लिए कृत्रिम मेधा और डीप-लर्निंग आधारित प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करता है।

‘डीप जर्नल’ आगे चलकर विभिन्न डेटा समूहों के बीच के संबंधों की पहचान करता है, जिनमें समानताएं, विविधताएं और अनुक्रम शामिल हैं। जनता और अन्य हितधारकों के समक्ष मौजूद मुद्दों के बीच के अंतर को दर्शा कर यह प्रौद्योगिकी क्षेत्र विशेष और यहां तक कि पूरे समाज या अर्थव्यवस्था के लिए नीतियां तैयार करने में मददगार साबित हो सकती है।

जेद्दा स्थित किंग अब्दुलाजीज विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने परिवहन के संबंध में अलग-अलग अकादमिक, औद्योगिक, सार्वजनिक, सरकारी और राजनीतिक दृष्टिकोण का विश्लेषण करने वाले अनुसंधान के दौरान ‘डीप जर्नल’ टूल का परीक्षण किया।

परिवहन सरकारों के लिए एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है, क्योंकि सफल नीतियों और प्रणालियों के निर्माण के वास्ते उन्हें ढेर सारे कारकों को ध्यान में रखना होता है। इन कारकों में यात्रियों और माल की सुरक्षा, बढ़ती लागत, महानगरों का विकास, पार्किंग से जुड़े मसले, लोगों की सेहत और पर्यावरण को नुकसान तथा बेहतर संपर्क मार्ग उपलब्ध कराने की जरूरत शामिल है।

‘डीप जर्नलिज्म’ से मिली अंतरदृष्टि का इस्तेमाल परिवहन क्षेत्र के सभी हितधारकों (सरकार, उद्योग, अकादमिक क्षेत्र, पत्रकार और आम नागरिक) के लिए उपलब्ध सूचनाओं में सुधार करके नीतियों और कार्रवाई में बेहतर समन्वय स्थापित करने के वास्ते किया जा सकेगा।

यह टूल अलग-अलग दृष्टिकोण की पहचान करने और उनके बारे में जानकारी जुटाने के लिए डेटा के अलग-अलग स्रोतों का इस्तेमाल करता है। परिवहन से जुड़े अनुसंधान के लिए आंकड़े एक अखबार (द गार्डियन : 1825 से 2022 के बीच प्रकाशित 14,381 लेख), परिवहन प्रौद्योगिकी पर आधारित एक पत्रिका (ट्रैफिक टेक्नोलॉजी इंटरनेशनल : 2015 से 2022 के बीच प्रकाशित 5,193 लेख) और परिवहन से संबंधित अकादमिक सामग्री (वेब ऑफ साइंस : 2000 से 2022 के बीच के 21,446 लेख) से लिए गए थे।

ये आंकड़े परिवहन को लेकर तीन अलग-अलग दृष्टिकोण उपलब्ध कराते हैं। पहला-जनता का दृष्टिकोण, जो राजनीति और अन्य संस्थाओं से प्रेरित है। दूसरा-परिवहन उद्योग का दृष्टिकोण और तीसरा-अकादमिक क्षेत्र व अनुसंधानकर्ताओं का दृष्टिकोण।

डेटा समूहों के विश्लेषण से पता चलता है कि हालांकि, विचार परस्पर रूप से विशिष्ट नहीं हैं और एक-दूसरे से कुछ हद तक प्रभावित हैं, बावजूद इसके वे काफी अंतर के साथ विभिन्न दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

परिवहन के तीनों दृष्टिकोण से जुड़े मापदंडों, कीवर्ड और आंकड़ों की तुलना करके और इनके अतिरिक्त अन्य स्रोतों से जुटाए गए आंकड़ों का विश्लेषण करके कुछ क्षेत्रों से संबंधित लेख की सामग्री और दस्तावेजों की दोबारा जांच कर परिणामों की पुष्टि की गई।

निष्कर्षों से पता चलता है कि परिवहन उद्योग और शिक्षाविदों द्वारा संचालन और जनता की संतुष्टि जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी की जाती है और अगर वे इन मुद्दों पर ध्यान भी देते हैं तो नीति निर्माता और उद्योगपति इनका उचित समाधान नहीं कर पाते।

निष्कर्षों से यह भी पता चलता है कि अकादमिक क्षेत्र जहां परिवहन पर बहुत व्यापक और गहन दृष्टिकोण उपलब्ध कराता है, वहीं प्रदूषण जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है।

(360इंफो डॉट ओआरजी) पारुल नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)