ढाका, 11 नवंबर (एपी) बांग्लादेश में इस्लामिक समूहों ने मंगलवार को रैली निकाली और अंतरिम सरकार से यह मांग की कि वह पूर्ववर्ती शेख हसीना सरकार को अपदस्थ किये जाने के बाद तैयार किए गए राष्ट्रीय चार्टर (संविधानिक प्रस्ताव) को कानूनी मान्यता दे। उनका कहना था कि राजनीतिक सुधारों के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी रोडमैप (योजना) के बिना सामान्य चुनाव कराना संभव नहीं है।
सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी और सात अन्य राजनीतिक दलों के हजारों समर्थक राजधानी ढाका में एकत्र हुए और मांग की कि अगला चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत आयोजित किया जाए। देश में अगले साल की शुरुआत में आम चुनाव कराए जाने की संभावना है।
कट्टरपंथियों की मुख्य मांगों में ‘जुलाई राष्ट्रीय घोषणा पत्र’ पर जनमत संग्रह शामिल है। इस घोषणा पत्र का नाम जुलाई 2024 में हसीना सरकार के खिलाफ शुरू हुए बगावत की पृष्ठभूमि में रखा गया है। इस बागवत के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को 15 साल के शासन के बाद सत्ता से हटना पड़ा था।
प्रदर्शन में शामिल दलों का कहना है कि घोषणा पत्र फिलहाल गैर-बाध्यकारी है और इसे कानूनी रूप से बाध्यकारी और संविधान का हिस्सा बनाने के लिए जनमत संग्रह की आवश्यकता है। बांग्लादेश की आबादी 17 करोड़ है और केवल संसद ही संविधान में बदलाव ला सकती है।
घोषणा पत्र के प्रावधानों में देश की राजनीतिक व्यवस्था में और अधिक नियंत्रण और संतुलन लाना शामिल है, ताकि सत्तावादी प्रशासन से बचा जा सके, जिसमें राष्ट्रपति पद को पहले के शक्तिशाली प्रधानमंत्री पद को संतुलित करने के लिए अधिक अधिकार देना भी शामिल है। इसमें विधायकों के कार्यकाल की सीमा और हितों के टकराव, धनशोधन तथा भ्रष्टाचार रोकने के उपायों का भी प्रस्ताव है।
ढाका में मंगलवार को आयोजित रैली में शामिल जमात-ए-इस्लामी और अन्य सहयोगी दलों के समर्थकों ने कहा कि जब तक जनमत संग्रह नहीं हो जाता और घोषणा पत्र को बाध्यकारी नहीं बनाया जाता, तब तक कोई चुनाव नहीं होगा।
एपी धीरज सुरेश
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